भगवान की पूजा के लिए सुबह-सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। वैसे तो दिन में कभी भी सच्चे मन से प्रभु की आराधना की जा सकती है लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-आराधना करने का विधान है।शास्त्रों के अनुसार प्रभु भक्ति के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ बताया गया है क्योंकि सुबह के समय हमारा मन शांत रहता है। नींद से जागने के बाद मन एकदम शांत और स्थाई रहता है। दिमाग में इधर-उधर की बातों या व्यर्थ विचार नहीं होते। भगवान की भक्ति के लिए जरूरी है कि मन एकाग्र रहे ताकि प्रभु में पूरा ध्यान लगाया जा सके।
सुबह के बाद दिन में किसी और समय में हम कई कार्य करते हैं जो कि हमारे मन-मस्तिष्क को पूरी एकाग्र नहीं होने देते। जिससे मन अशांत रहता है, कई बुरी और अधार्मिक बातों में भी मन उलझ जाता है। जिससे भक्ति में ध्यान लगाना असंभव जैसा ही होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त को पूजादि कर्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
भगवान उसी भक्ति से प्रसन्न होते हैं जहां मन शांत हो और किसी भी प्रकार की अधार्मिक बातें ना हो। सुबह की गई पूजा के प्रभाव से मन को इतना बल मिलता है कि दिनभर के सारे तनाव आसानी से सहन कर सके। दिमाग तेजी से चलता है, हम एक साथ कई योजनाओं पर कार्य कर पाते हैं। इसी वजह से सुबह-सुबह पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।