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healthy fast food जंकफूड को बनाएं हैल्दी

आजकल हर गली, हर कोने में आपको एक न एक फास्ट फूड कॉर्नर आसानी से दिख जाएगा-सड़क हो या ऑफिस, कॉलेज हो या स्कूल की कैंटीन। कोई भी जगह इससे बची नहीं है। स्कूल की कैंटीन में, जहां हमारे देश के सबसे युवा नागरिक अपना अधिकतर खाली समय व्यतीत करते हैं, वहां भी खाने की अस्वास्थ्यकर चीजों की भरमार दिखती है। ऐसे में अगर किसी बच्चे के सामने पिज्जा और बर्गर का विकल्प उपलब्ध होगा तो वह टिफिन में लाई हुई रोटी-सब्जी खाना क्यों पसंद करेगा?

तेजी से बढ़ती जंक फूड संस्कृति की एक बड़ी बड़ी समस्या और है। ये चीजें कैलोरी के मामले में तो बेहद रिच होती हैं, लेकिन पोषक तत्वों का स्तर इनमें बहुत ही कम होता है। इनमें सोडियम, प्रॉसेस्ड शुगर और प्रिजर्वेटिव आदि की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इनमें कार्बोहाइड्रेट अधिक और फाइबर बेहद कम होता है। इन चीजों की प्रॉसेसिंग की प्रक्रिया में इनका विटामिन, खनिज और फाइबर नष्ट हो जाता है। यही वजह है कि बहुत ज्यादा फास्ट फूड खाने वाले बच्चे बेहद जल्दी मोटापे की चपेट में आते हैं, लेकिन उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है।
अगर आपको फास्ट फूड खाना पसंद हो तो भी इसे नियंत्रित मात्रा में इस्तेमाल करें किसी भी स्थिति में इसे अपने नियमित खान-पान का हिस्सा न बनाएं।
बच्चों को जंक फूड की आदत लगने से रोकने का एक तरीका यह है कि उन्हें फास्ट फूड जॉइंट की चीजें खाने से रोकें और ऐसा तब हो सकता है जब घर में स्वस्थ फास्ट फूड तैयार हो। इन्हें बनाने के लिए सामान्य अस्वास्थ्यकर चीजों की जगह स्वास्थ्यवर्धक चीजें इस्तेमाल की जाएं। अगर आप घर में ही हैल्दी पिज्जा और बर्गर बनाएंगी तो बच्चे को ये उतने ही स्वादिष्ट लगेंगे जितने कि बाहर के फूड जॉइंट में मिलने वाले पिज्जा, बर्गर। इससे उन्हें बाहर के खाने की आदत नहीं लगेगी और वे स्वस्थ रहेंगे।
पाव भाजी  हालांकि पाव भाजी आम जंक फूड की तरह नहीं होता, लेकिन इसे पूरी तरह से हेल्दी बनाया जा सकता है। इसमें परंपरागत पाव की जगह ब्राउन ब्रेड या मल्टी ग्रेन पाव का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाजी में खूब सारी सब्जियां मिला सकते हैं।
पिज्जा को बनाये हेल्थी  भारत में इटैलियन पिज्जा सबसे लोकप्रिय फास्टफूड में से एक है। इसे अगर थोड़ा सा रीडिजाइन कर दिया जाए तो यह बच्चों ही नहीं, बड़ों के लिए भी सेहतमंद बन सकता है। इसके बेस के लिए मोटे पिज्जा क्रस्ट की जगह ब्राउन ब्रेड का इस्तेमाल करें, मेयोनीज की जगह सफेद मक्खन लगाएं और इसे पोषक बनाने के लिए इस पर खूब सारी सब्जियों की परत लगाएं।
चीला-इंडियन पैनकेक  बेसन यानी चने के आटे से बनने वाला चीला फास्ट फूड का बेहद स्वास्थ्यकर विकल्प होता है, जिसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है और पोषक तत्वों की काफी ज्यादा। अपने बच्चों को इसे खाने की आदत लगाएं, इससे उन्हें प्रिजर्वेटिव वाले फास्ट फूड खाने की लत नहीं लगेगी। 


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favourite stars health secrets पसंदीदा स्टार्स के हैल्थ सीक्रेट्स

फिल्म और टीवी में जो स्टार्स स्मार्ट, स्वस्थ और हमेशा खुश नजर आते हैं, वे इसके लिए क्या कुछ नहीं करते। आइए हम उनसे ही जानते हैं उनके स्वस्थ, सुंदर दिखने और खुश रहने के राज-

दीपिका सैमसन
कलर्स टीवी के सीरियल ‘ससुराल सिमर का’ की लीड एक्ट्रेस दीपिका सैमसन एक इमोशनल लड़की हैं जो अपने परिवार से काफी जुड़ी हुई हैं। ‘ससुराल सिमर का’ में सिमर की भूमिका एक ऐसी लड़की की है जो बात-बात पर रो पड़ती है लेकिन रियल लाइफ में दीपिका ऐसी नहीं हैं। एक साइड रोल से लीड रोल तक का सफर दीपका ने आसानी से किया है। वे इसे ईश्वर का वरदान ही मानती हैं कि उन्हें दर्शकों का अनकंडीशनल प्यार मिला है। उनका मानना है कि अगर जिंदगी में स्माइल ना हो तो दुनिया में कुछ भी नहीं होगा। जिंदगी में स्माइल की बहुत वैल्यू है।
दीपिका का कहना है कि अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वे हरसंभव कोशिश करती हैं कि शांत रहें। वे घर पर कुछ क्वालिटी टाइम सिर्फ अपने लिए गुज़ारती हैं। इस समय में वे ऐसे काम करती हैं जिनके माध्यम से वे अपने दिमाग और मन को कुछ राहत दे सकेंआराम दे सकें।
डाइट
दीपिका का कहना है कि वे सब कुछ खाती हूं यानी सब कुछ। वे पूरी तरह देसी खाना खाती हूं। उन्हें मीठा बहुत पसंद है लेकिन वे जो भी खाती हूं उसकी संयमित मात्रा का खास ख्याल रखती हैं। दीपिका छोटे-छोटे हिस्सों में कई बार भोजन करती हैं जिससे वे अपनी काया को छरहरी बनाए रख सकें। फल उनके रोजमर्रा के भोजन का आवश्यक हिस्सा हैं।
एक्सरसाइज़
दीपिका को जिम जाना बिलकुल नापसंद है...लेकिन वे घर पर ही कुछ एक्सरसाइज़ जरूर करती हैं। इसमें आधे घंटे कार्डियो और कुछ बेसिक एक्सरसाइज़ शामिल हैं।
नींद
दीपिका को नींद से बेहद प्यार है। अगर उन्हें विकल्प दिया जाए तो वे बस सोना पसंद करेंगी। सोनासोना और बस सोना....लेकिन उनकी दिनचर्य़ा के हिसाब से यह बहुत मुश्किल है। वे पूरी कोशिश करती हैं कि रोज़ाना रात को से घंटे की नींद ले सकें लेकिन कई बार वे ऐसा नहीं कर पातीं। ऐसे में वे शॉट्स के बीच-बीच में हल्की-फुल्की झपकी ले लेती हैं। वे अपनी सबसे बड़ी अच्छाई इसे बताती हैं कि वे कहीं भीयहां तक कि कितने भी शोर के बीच सो सकती हैं। बस उन्हें ज़रूरत होती है एक आरामदेह कुर्सी की जो उन्हें अपने बीच समेट सके।
रोहन मेहरा

मॉडलिंग की दुनिया से एक्टिंग में कदम रखने वाले रोहन मेहरा अब अनेक सीरियल्स में काम करन के बाद फिल्मों में भी आने वाले हैं। रोहन ये रिश्ता क्या कहलाता हैये है आशिकी और बड़े अच्छे लगते हैं जैसे सीरियल्स में काम कर चुके हैं।
अपने हैल्थ सीक्रेट्स के बारे में रोहन मेहरा कहते हैं कि हालांकि मुझे अपनी व्यस्त दिनचर्या की वजह से स्वास्थ्य की सही देखरेख और अपनी डाइट के बारे में ज्यादा सोचने के लिए समय नहीं मिलता लेकिन फिर भी मैं कोशिश करता हूं कि जितना हैल्दी भोजन कर सकता हूंकरूं।
डाइट
रोहन दिन भर खूब पानी पीते हैं। वे अपने दिन की शूरूआत दूध और अंडे से करते हैं और सेट पर लंच में और बीच-बीच में वे नारियल पानी और फलों का ताजा रस पीते रहते हैं। डिनर में वे सलाद और चपाती खाना पसंद करते हैं।
एक्सरसाइज़
रोहन के एक्सरसाइज़ रुटीन में स्टार अवार्ड्स की डांस रिहर्सल शामिल हैं। इसकी वजह से ही काफी थकान हो जाती है और वे जिम नहीं जा पाते।
नींद
रोहन रात के करीब दस बजे अपना शूट ख़त्म होते ही घर जाते हैं और सो जाते हैं ताकि वे सुबह जल्दी उठ सकें।
कुंवर अमरजीत सिंह
पॉपुलर शो ‘दिल दोस्ती डांस’ फेम कुंवर अमरजीत सिंह अपने देश की संस्कृति को बेहद पसंद करते हैं। वे अपने फैन्स के लिए इवेंट्स में पहुंच जाते हैं और खूब इंजॉय करते हैं। उन्हें डांस में भांगड़ा बेहद पसंद है। अपने हैल्थ सीक्रेट्स के बारे में बताते हुए वे कहते हैंमैं जंकफूड को हरसंभव तरीके से न खाने की कोशिश करता हूं क्योंकि मैं हैल्थ के इस नियम को खारिज नहीं कर सकता कि स्वस्थ शरीर 70 से 80 प्रतिशत आपके आहार से बनता है और बाकी 30 प्रतिशत वर्कआउट से। वे कहते हैं कि अगर आप वर्कआउट यानी एक्सरसाइज़ नहीं भी करते लेकिन अपनी डाइट का खास खयाल रखते हैं तो भी आप ज्यादा स्वस्थ रहते हैं।
अपने मन के लिए वे खुद को जितना हो सके शांत रखने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि गुस्से में कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी की बहुत सी चीजों को गंवा बैठता है। वे कोशिश करते हैं कि उन बातों की ओर ज्यादा ध्यान न देंजो उन्हें डिस्टर्ब करती हैं।
डाइट
खुद को एक फूड़ी बताने वाले कुंवर जब काम कर रहे होते हैं तो सुबह जल्दी उठ जाते हैं और उठते ही अंडे और प्रोटीन शेक ग्रहण करते हैं। इसके बाद उनकी आदत छोटे-छोटे रूप में आहार लेने की है। वे लंच में थोड़ा सा कुछ खाते हैं और शाम को बाकी थोड़ा सा और फिर रात को डिनर में फिर हल्का सा कुछ। यानी हर 3-4 घंटे में वे थोड़ा-थोड़ा करके अपना हैल्दी आहार लेते हैं। इसकी वजह स्वास्थ्य के साथ यह भी है कि वे एकसाथ ज्यादा भोजन नहीं खा सकते।
एक्सरसाइज़
कुंवर को जब भी समय मिलता हैवे दौड़ना पसंद करते हैं। जब घर पर होते हैं तो पार्क में दौड़ते हैं। इस मामले में वे आलसी नहीं है। इसके अलावा वे रोजाना जिम जाते हैं और करीब दो घंटे वर्कआउट करते हैं। वे भरपूर कोशिश करते हैं कि उनकी यह दिनचर्या बिगड़े नहीं क्योंकि एक बार रुटीन बिगड़ जाए तो उसे बनाने में बहुत समय लगता है।
नींद
कुंवर अपनी नींद के रुटीन को बहुत खराब मानते हैं। वे कहते हैं कि इंडस्ट्री में नींद पूरी न होना बेहद आम बात है लेकिन वे इसके लिए कुछ और करने की बजाय कोशिश करते हैं कि जब उन्हें समय मिले, तब अपनी नींद पूरी कर लें। कुंवर जानते हैं कि नींद स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। इससे आप फ्रेश महसूस करते है और अच्छी तरह काम कर सकते हैं। वे बीच-बीच में हल्की झपकी ले लिया करते हैं ताकि वे हरदम तरोताज़ा लगें।




hibiscus tea benefits गुड़हल की चाय से पेट की चर्बी करे कम,

ज्यादातर लोगों के दिन की शुरूआत चाय से होती है। आपने ग्रीन टी, तुलसी टी या जिंजर टी, लेमन टी का नाम तो सुना ही होगा और आपने ये चाय पी भी होंगी लेकिन क्या कभी गुड़हल की चाय ट्राई की है? शायद ही आपने इसका स्वाद चखा होगा? गुड़हल की चाय पीने से क्या लाभ होते हैं, इसको घर पर बनाने की विधि क्या है, इन सब की जानकारी आज हम आपको देंगे-


मोटापा होगा दूर
अगर आप अपने बढ़ते हुए मोटापे से परेशान हैं तो गुड़हल की चाय आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है। इसमें भरपूर मात्रा में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंटस शरीर के मेटाबॉलिज्म को स्ट्रांग करते हैं। नियमित रूप से गुड़हल की चाय पीने से पेट की चर्बी कम हो जाएगी। 
बीपी की समस्या
बीपी की समस्या से पीड़ित व्यक्ति अगर एक कप गुड़हल की चाय नियमित रूप से पीते हैं तो ब्लड प्रेशर आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं।
स्किन के लिए
गुड़हल की चाय पीने से स्किन में नेचुरल ग्लो आता है। आप चाहे तो इसके फूल को पीस कर फेस पर लगा सकती हैं, इससे स्किन हेल्दी होती है।
हर्बल शैंपू
गुड़हल के फूलों की चाय पीने से हेयर प्रॉब्लम्स दूर हो जाती है। हेयर फॉल और ड्राई हेयर की समस्या से निजात पाने के लिए आप चाहें तो इसके फूल से हर्बल शैंपू भी बना सकते हैं।
डिप्रेशन होगा दूर
गुड़हल की चाय में कई तरह के ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो स्ट्रेस के कारण बढ़े तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने से रोकता है। इसके सेवन से डिप्रेशन खत्म होता है और दिमाग शांत रहता है।

चाय बनाने की विधि
 
दो कप पानी में गुड़हल की कुछ सूखी पत्त‍ियों को डालें अब इसे उबलने के लिए रख दें और 5 से 7 मिनट तक धीमी आंच पर पकाए फिर गैस बंद करके इसे कप में छान लें और ठंडी करके पिए। आप चाहे तो स्वाद के लिए इसमें शहद और नींबू मिला सकते हैं।

 

cross legged sitting benefits जमीन पर बैठकर खाना खाने के फायदे

जो लोग नीचे बैठकर खाते हैं उन्हें असभ्य और हेय दृष्टि से देखा जाता है। पर क्या हम जानते हैं कि भारत में नीचे बैठकर खाने की परंपरा हमारे पूर्वजों के समय से चलती चली आ रही है।इस मोर्डेन समय में जमीन पर बैठकर खाना कौन पसंद करता है, डाइनिंग टेवल पर बैठकर खाना फैशन और स्टैंडर्ड बन गया है और ऐसे लोगों को सभ्य कहा जाता है।
प्राचीन समय में लोग बहुत कम बीमार पड़ते थे, लेकिन जब से हम मोर्डेन होते जा रहे हैं तब से नई- नई बीमारियाँ पैदा होती जा रही हैं। इसका कारण लाइफ स्टाइल में यही छोटे- छोटे बदलाव है, ये बदलाव हमें अर्थहीन लगते हैं लेकिन इनके पीछे एक साइंटिफिक रीज़न छुपा हुआ है जो हमें कई बीमारियों से बचाता है। आइये जानते हैं नीचे बैठकर खाने के क्या फायदे हो सकते हैं

पाचन क्रिया सही रहती है 
जमीन पर हम सुखासन में या पालथी मारकर बैठते हैं, शरीर की यह स्थिति खाना पचाने में मदद करती है। जब हम खाने के लिए आगे प्लेट की ओर झुकते हैं और फिर वापस सीधे बैठते हैं, इस तरह बार-बार करने से पेट की मांसपेशियाँ अच्छे से काम करती हैं जिससे पेट में एसिड का स्राव बढ़ता है जो खाना पचाने में मदद करता है। साथ ही पेट की कई समस्याओं जैसे- एसिडिटी, गैस, सीने में जलन, कब्ज और अपच से छुटकारा मिलता है।
वजन नियंत्रण में रहता है 
जब जमीन पर पालथी मारकर बैठते हैं तो हमारा दिमाग अपने आप शांत हो जाता है। जिससे जब हम भोजन करते हैं तो दिमाग भोजन पर केन्द्रित हो जाता है। इससे हमें पता चलता है कि हम क्या खा रहे हैं और क्या नहीं। डाइनिंग टेबल की जगह नीचे बैठकर खाने से खाने की गति भी धीमी हो जाती है। इससे पेट और दिमाग को पेट भरने का अहसास जल्दी हो जाता है जिससे जरूरत से ज्यादा खाने से भी बच जाते हैं।
शरीर का पोश्चर सही होता है 
पालथी लगाकर बैठने से शरीर की स्थिति यानि पोश्चर में सुधार होता है। जब हम सुखासन में बैठते हैं तो रीढ़ की हड्डी और पीठ सीधी रहती है जिससे वहाँ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और रक्त का संचार भी सही से होता है। कई लोग कंधे झुकाकर बैठते हैं जिसके कारण वे कंधों के दर्द और जकड़न से परेशान रहते हैं। इस आसन से पोश्चर में आई गड़बड़ी भी दूर होती है।  
जोड़ों को लचीला बनाता है 
सुखासन में बैठना जोड़ों को (खासकर कूल्हों, घुटनों और पंजों) को लचीला और वहाँ के आसपास की मसल्स को मजबूत बनाता है। बार बार नीचे उठने – बैठने से शरीर के जोड़ लचीले बने रहते हैं और गठिया या हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएँ परेशान नहीं करतीं।
रक्त का संचार सही करता है 
जब हम जमीन पर बैठकर खाते हैं तो रक्त का प्रवाह सही से होता है। नीचे बैठकर पालथी मारकर खाने से रक्त का प्रवाह पाचन के लिए जिम्मेदार अंगों तक होता है जिससे खाना आसानी से और जल्दी पचता है। इससे हमारे हार्ट को कम मेहनत करनी पड़ती है और वह स्वस्थ रहता है। जबकि डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने से ब्लड सर्कुलेशन पैरों की तरफ हो जाता है जिससे खाना पचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है और समय भी अधिक लगता है।

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  • हरी पत्तेदार सब्जियों के दो तत्व हैं आखों के रक्षक : आखों को स्वस्थ और आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों का नियमित सेवन बहुत जरूरी है। हरी पत्तेदार सब्जियों के उदाहरण हैं, पालक, कोलार्ड ग्रीन, शलगम, सलाद पत्ता, सरसों, बंदगोभी आदि। हरी पत्तेदार सब्जियों में कैरोटिनॉयड के रूप में एक विशेष पोषक तत्व होता है, जिसे ल्यूटेन कहते हैं। ये तत्व बढ़ती उम्र के साथ आंखों में पैदा होने वाले मैकुलर डिजनरेशन के खतरे को कम करते हैं।

  • टमाटर में भरपूर हैं आंखों के मित्र पदार्थ : टमाटर में आंखों के मित्र तत्व ल्यूटेन के साथ ही भरपूर लाइकोपेन भी होता है। ये दोनों ही तत्व अच्छी दृष्टि में मदद के लिए जाने जाते हैं। लाइकोपेन आंखों को सूरज से होने वाले नुकसान से भी बचाता है और आंखों की रोशनी बढ़ानेमें सहायता करता है
  • स्वस्थ आँखों के लिए जरूरी हर चीज है गाजर में : जब भी स्वस्थ आखों की बात होती है तो गाजर का नाम सबसे पहले आता है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि गाजर में स्वस्थ आंखों के लिए सब कुछ है। गाजर में विटामिन ए का अग्रदूत बीटा कैरोटीन है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होता है। गाजर में लाइकोपेन है, जो अल्ट्रावायलेट रेडिएशन से आंखों को बचाता है। गाजर में ल्यूटेन है, जो मैकुला डिजनरेशन का खतरा कम करता है।

  • आँखों के लेंस की रक्षण सामग्री से लैस है अंडा : अंडे में दो ऐसे तत्व होते हैं, जिनसे मिलकर आंखों के लेंस का रक्षक तैयार होता है। जी हां, आखों के लेंस के लिए एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है प्रोटीन ग्लूटेथिओन। अपने अंदर सल्फर रखने वाले यौगिक खास तौर से मोतियाबिंद के निर्माण का खतरा कम करते हैं।
  • आंखों के रक्षक के निर्माण में मददगार हैं लहसुन, प्याज : इन दोनों में भी सल्फर अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों के एंटी ऑक्सीडेंट ग्लूटेथिओन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्लूटेथिओन का बढ़ा हुआ स्तर मैकुलर डिजनरेशन, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद यानी तीनों ही समस्याओं को हल करता है | ग्लूकोमा की समस्या में आंख के अंदर के पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, जिससे देखने में परेशानी आती है और समस्या बढ़ने पर अंधापन भी घेर सकता है। आँख का पानी साधारण पानी नहीं होता। इसे एकुअस ह्यूमर कहते हैं, जो लेंस के आगे की जगह में मौजूद होता है। यह लेंस और कोर्निया को ऑक्सीजन और अन्य जरूरी भोजन पहुंचाता है। किसी भी वजह से इस पानी का बहाव रुकता है तो आखों पर दबाव बढ़ता है। जब दबाव ऑप्टिक नर्व (आँख को दिमाग से जोड़ने वाली नव) पर पड़ता है तो देखने में परेशानी आने लगती है।
  • रात में अच्छा देखने में मदद करती है ब्लू बेरी : ब्लू बेरी आंखों को थकने से बचाती हैं। इसी के साथ इनमें है आंखों को पोषण देने वाला फाइटोन्यूट्रिएंट एंथोसाइएनिन। एंथोसाइएनिन रात में देखने की क्षमता में सुधार करता है। ब्लू बेरी में सेलेनियम और जिंक जैसे तत्व भी हैं, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए अच्छे माने जाते हैं।
  • मछली में मौजूद हैं रेटिना के लिए जरूरी फैटी एसिड : मछलियों में भरपूर ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। मछलियों में ईपीए और डीएचए नाम के दो ओमेगा-3 फैट विशेष रूप से पाए जाते हैं, जो कोशिकाओं के स्वास्थ्य लिए बहुत जरूरी होते हैं। रेटिना के लिए जरूरी फैटी एसिड का 30 फीसदी डीएचए से ही बनता है। ओमेगा-3 फैट्स देने के लिए नट्स (बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि), अलसी, सरसों का तेल, कद्दू के बीज इस्तेमाल करें। अगर आप नॉन वेज खाना खाते है तो आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए मछली का सेवन अवश्य करें | 

  • आंखों को कई समस्याओं से बचाता है खुबानी : यह फल बीटा कैरोटीन और लाइकोपेन से भरपूर होता है। बीटा कैरोटीन को शरीर विटामिन ए में बदल लेता है, जो कि आंख के लेंस को क्षति से बचाने के लिए एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इस प्रकार खुबानी आंखों को मोतियाबिंद और मैकुलर डिजनरेशन जैसी समस्याओं से बचाने में मदद करता है। जिससे आंखों की रोशनी बढती है |
  • मोतियाबिंद के विकसित होने को रोकती है तोरी : तोरी या तोरई नाम की सब्जी भी ल्यूटेन और जेक्सेंथिन की धनी होती है। ये दोनों तत्व रेटिना के मध्य भाग (मैकुला) को ब्लू और अल्ट्रावायलेट प्रकाश से बचाते हैं। इसके अलावा ये दोनों पदार्थ एक साथ मिलकर मोतियाबिंद के विकसित होने का खतरा कम करते हैं। मोतियाबिंद : इस समस्या में आंखों का लेंस अपारदर्शी (ओपेक) हो जाता है, जिससे हमें धुंधला दिखाई देता है।
  • रेटिना को फ्री रेडिकल्स से बचाती है ब्रोकोली : ब्रोकोली भी हरी पत्तेदार सब्जियों में ही आती है, मगर इसको अलग से बताना इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह आंखों के रेटिना को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाती है। यह बचाव ब्रोकोली में मौजूद सल्फोराफेन नाम का पदार्थ करता है, जो फ्री रेडिकल्स के खिलाफ शरीर की खुद की रक्षा प्रणाली तैयार करता है। सल्फोराफेन फूलगोभी में भी पाया जाता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए इसका नियमित सेवन करना चाहिए |
  • विटामिन ए के लिए कुछ पदार्थ और : आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए विटामिन ए भी जरूरी होता है। ऊपर जिन पदार्थों का जिक्र किया गया है, उनमें से अनेक में (अंडा, गाजर, टमाटर, मछली का तेल, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि) में विटामिन ए होता है
इसी के साथ कुछ आसानी से मिलने वाले पदार्थ और हैं, जिन्हें हमें विटामिन ए के लिए जरूर लेना चाहिए। ये हैं, दूध, मक्खन, सभी अनाज, कद्दू, शकरकंद, आम, केला, पपीता आदि। सस्ते दाम पर आसानी से मिलने वाले कद्दू में भरपूर विटामिन ए और बीटा कैरोटीन होता है, जिससे यह आंखों की रोशनी के लिए बहुत काम का है। विटामिन ए की कमी से अंधेरे में न दिखाई देने वाली बीमारी ‘नाइट ब्लाइंडनेस” भी हो जाती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए अपने आहार में इन सब पदार्थो को जरुर शामिल करें |


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