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बैडरूम में वास्तु रिश्ते बनाने तथा उन्हें बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है और इसलिए वास्तु के विशेषज्ञ घर के सोने के कमरे का बारीकी से निरीक्षण करते हैं । पुराने जमाने में जहाँ हर घर में फर्निचर तथा इतर वस्तुओं को रखने के लिए पर्याप्त जगह हुआ करती थी जब की आज के जमाने में घरों में जगह की कमी होती है जिससे अव्यवस्था का कारण बनता है । शहरों तथा गांवो के घरों के लिए यह विशेष रूप से सच है । एक अव्यवस्था मुक्त सोने का कमरा मुक्त ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है । अगर सोने के कमरे की वास्तु उचित है तो यह दम्पति के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए मदद करता है । सोने के कमरे की वास्तु महत्त्वपूर्ण होने का एक और कारण यह है कि पूरे दिन काम से थक कर आने के बाद लोग यहाँ पर आराम करने तथा सोने के लिए आते हैं । अगर वास्तु उचित है तो लोग समस्याओं का सामना करने के लिए सुबह नए उत्साह के साथ जग जाते हैं ।








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parineeti chopra fitness परिणीति चोपड़ा ने कैसे घटाया अपना वजन

परिणीति चोपड़ा ने अपना वजन, महीनों पहले बॉलीवुड अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा की इंटरनेट पर एक फोटो वायरल हुई जिसमें वह काफी स्लिम दिखाई दे रही थीं। परिणीति के फैन्स उनकी फिटनेस देखकर हैरान रह गए। कुछ लोगों ने अनुमान लगाया कि अपना वजन कम करने के लिए परिणीति ने सर्जरी (surgery) करवायी है तो कुछ ने यह कहा कि कठिन मेहनत से परिणीति ने अपना वजन घटाया है। आपको बता दें कि वजन घटाने से पहले परिणीति का वजन 86 किलोग्राम था जो किसी भी सामान्य महिला के लिए काफी अधिक था। उस समय उनके जींस पैंट की साइज 38 थी जबकि वजन घटाने के बाद साइज 30 हो गई।

वजन बढ़ने का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि व्यक्ति फैशनेबल और फिटिंग के कपड़े नहीं पहन सकता। परिणीति चोपड़ा तो बॉलीवु़ड की हीरोइन हैं, उनके लिए अच्छी काया और शरीर का अच्छा लुक बहुत मायने रखता है। इसलिए उन्होंने वजन घटाने के लिए सिर्फ खुद को तैयार ही नहीं किया बल्कि बिना किसी सर्जरी के महज डाइट प्लान और एक्सरसाइज से अपना वजन कम कर दिखाया।

वजन घटाने के लिए परिणीति चोपड़ा का डाइट प्लान 


परिणीति चोपड़ा ने वजन घटाने के लिए 6 महीने का एक डाइट प्लान तैयार किया। डाइट प्लान बनाने के बाद उन्होंने शर्करा, हाई कार्बोहाइड्रेट और उच्च वसा वाले भोजन से खुद को दूर रखने का प्रण किया। परिणीति बताती हैं कि वजन घटाने के दौरान वह स्वस्थ एवं सीमित मात्रा में भोजन करती थीं और रात में आठ बजे के बाद वह कुछ भी नहीं खाती थीं।  वह बताती हैं कि उन्होंने धीरे-धीरे अपनी जीवनशैली  में भी बदलाव किया। शुरूआत के पहले दो हफ्तों में उन्होंने हल्का भोजन करना शुरू किया इसके बाद धीरे-धीरे उन्होनें अपने डाइट प्लान को थोड़ा और कठिन बनाया।
लेकिन जब उनका मन करता था तो वह खुद को केक का छोटा टुकड़ा खाने से नहीं रोकती थी। उन्होंने बताया कि सही डाइट के अलावा वर्कआउट भी वजन घटाने में बहुत फायदेमंद रहा। ज्यादातर लोग यह जानना चाहते हैं कि वजन कम करने के लिए परिणीति चोपड़ा का डाइट प्लान चार्ट क्या था, तो आइये जानें उनके डाइट प्लान चार्ट के बारे में-
  • तड़के सुबह- एक कप गुनगुना नींबू-पानी 
  • ब्रेकफास्ट- दो उबले सफेद अंडे, एक ब्राउन ब्रेड, एक कप वसा रहित दूध
  • लंच- ब्राउन राइस, रोटी, दाल, सब्जियां
  • लंच के बाद-वसा रहित दही या ग्रीन टी
  • डिनर- सब्जियां, वसा रहित दूध, कम वसायुक्त भोजन और कभी-कभी चॉकलेट शेक
परिणीति चोपड़ा का डाइट प्लान बहुत आसान था लेकिन वह बताती हैं कि इस डाइट प्लान का प्रतिदिन सही तरीके से पालन करना बहुत मुश्किल काम था। लेकिन नियमित एक्सरसाइज रूटीन ने उन्हें वजन घटाने करने में बहुत मदद की।

परिणीति चोपड़ा का वर्कआउट प्लान

परिणित चोपड़ा  वर्कआउट करना ज्यादा पसंद नहीं करती हैं लेकिन प्रतिदिन एक्ससाइज करना वह कभी नहीं भूलती हैं। उन्होंने अपना वजन घटाने से लिए लक्ष्य निर्धारित किया। एक इंटरव्यू में परिणीति चोपड़ा ने बताया कि जिम में वर्कआउट करना उन्हें बहुत बोरिंग लगता है। उन्होंने वजन घटाने के लिए तैराकी और केरला शैली के नृत्य कालारिपायट्टु (Kalaripayattu) का भी नियमित खूब अभ्यास किया। इसके अलावा उन्होंने डांस क्लास भी जाना शुरू कर दिया, जिससे सिर्फ उनके नृत्य कौशल में ही निखार नहीं आया बल्कि वजन घटाने में भी नृत्य काफी फायदेमंद साबित हुआ। वह बताती हैं कि वजन घटाने के लिए सबसे पहले खुद को मानसिक रूप से  तैयार करना बेहद जरूरी है। अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए उन्होंने नियमित मेडिटेशन भी किया।

  • परिणीति चोपड़ा तड़के सुबह दस मिनट जॉगिंग करके दिन की शुरूआत करती हैं। 
  • प्रतिदिन वह 15 से 20 मिनट मेडिटेशन करना बेहद जरूरी मानती हैं।
  • परिणीति प्रतिदिन 1 घंटे योग करती हैं।
  • ट्रेडमील पर दौड़ती हैं।
  • खाली समय में एक से दो घंटे नृत्य करती हैं।
  • कॉर्डियो एक्सरसाइज रोज करने के साथ ही स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग भी उन्होंने ली है।
वह बताती हैं कि कभी-कभी फुर्सत के क्षणों में वह तैराकी और घुड़सवारी  भी करती हैं, जो वजन घटाने में बहुत फायदेमंद होता है।
परिणीति कहती हैं कि वजन कम करना बस दिमाग का खेल है। अगर आपने ठान लिया कि आपको वजन कम करना है तो उतना ही पर्याप्त है। वह कहती हैं कि वजन घटाने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करने में उन्हें बहुत समय लगा था।

परिणीति चोपड़ा के फिटनेस टिप्स

परिणीति चोपड़ा का मेटाबोलिज्म बहुत कमजोर था इसलिए उनका वजन भी तेजी से बढ़ा था। अगर आपका मेटाबोलिज्म धीमा है और वजन तेजी से बढ़ रहा हो तो आप ये घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं-
  • दो चम्मच मेथी के दाने को रातभर पानी में भिंगोए और सुबह उस पानी को पीएं।
  • फाइबर युक्त भोजन करें। ओट्स, पालक, ब्रोकली, अदरक, गाजर, हरी मेथी और फलों को भोजन में शामिल करें।
  • केचअप, सॉस, चिली सॉस और स्वीट चिली सॉस का उपयोग न करें।
  • रोजाना कम से कम तीन लीटर पानी पीएं और वर्कआउट करें।

train brain to be positive अपनी सोच को सकारात्मक बनाये

क्या आप एक आशावादी या निराशावादी हैं? हालांकि ऐसा लगता है कि इसका उत्तर आपके दृष्टिकोण और जीवन के प्रति आपका रवैया में है, वास्तव में आपके मस्तिष्क में रासायनिक प्रक्रियाओं के साथ बहुत कुछ होता रहता है। यदि आप अपने आप को अधिक से अधिक समय नकारात्मक पाते हैं, तो यहां कुछ ऐसा है जिससे आप अपने दिमाग को आशावादी बनाकर अपनी सोच को सकारात्मक कर अच्छा महसूस कर सकते हैं: अपने दिमाग को आशावादी बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है! सोच को सकारात्मक बनाना उतना भी मुश्किल नहीं है जितना आप सोच रहे हैं। निराशावादी से आशावादी होने में आपको समय लग सकता है लेकिन यकीन मानिए यह असंभव बिल्कुल भी नहीं है।
जिस प्रकार हम किसी काम को करना सीखते है बस उसी तरह मस्तिष्क भी उन्ही आदत की पुनरावृत्ति के माध्यम से सीखता है, जब आप अक्सर सोच को सकारात्मक बनाने के लिए सकारात्मक विचारों का अभ्यास करते हैं, तो आपके मस्तिष्क को उन्हें आने के लिए तैयार किया जाता है ये सारा काम हमारे तंत्रिका तंत्र के द्वारा किया जाता है
अध्ययन बताते हैं कि आशावादी उम्मीदवार समस्याओं को सुलझाने में अधिक खुश हैं, अधिक रचनात्मक हैं, और निराशावादियों की तुलना में मानसिक सतर्कता में वृद्धि हुई है। उम्मीदवारों में कम कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) और अधिक सेरोटोनिन (मूड-बढ़ाने बाले न्यूरोट्रांसमीटर) होते हैं जो अपने सिस्टम के माध्यम से बहते हैं। जिससे उनको अच्छा महसूस होता है?
जोर से हँसो 
हंसी वास्तव में सबसे अच्छी दवा है आप हंसते हुए सेरोटोनिन उत्पादन को प्रेरित करते हैं, जिससे आप एमिगडाला (मस्तिष्क के तनाव केंद्र) को शांत करते हुए आंगे बढ़ते है। अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें, अपने पसंदीदा कॉमेडी सीरियल को देखे या हँसी वाले योग को करने की कोशिश करें। चाहे कैसे भी आप अपनी हंसी प्राप्त करें, बस यह सुनिश्चित करें कि आप अक्सर हँसते रहे | यह  सोच को सकारात्मक बनाने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है

अपने शब्दों पर शयन दे 
जब आप शिकायत करना शुरू करते हैं, तो अपने आप को रोकें, यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अगर शिकायत कारण आपकी एक आम आदत है लेकिन अपनी मां की सलाह को याद रखें: “यदि आपके पास कुछ भी अच्छा कहने को नहीं है, तो कुछ भी मत कहो।” तो अपने शब्दों को सावधानी से चुनें | आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि शिकायत ना करने से कितने जल्दी आपका दृष्टिकोण कैसे बदल जाता है
सोच को सकारात्मक बनाने के लिए शुक्रिया करें 
कृतज्ञता के विचार सेरोटोनिन में वृद्धि और कोर्टिसोल में कमी के साथ ही प्रेरणा और समग्र सुख में सुधार के लिए जिम्मेदार होते है। प्रत्येक दिन कम से कम तीन चीजें लिखकर प्रारंभ करें, जो आप के लिए अच्छी हैं।
यह अभ्यास उन चीज़ों में विकसित हो सकता है जिनके लिए आप आभारी हैं, जिसके बारे में आप एक नोटबुक में लिख सकते हैं जो आप अपने साथ लेते हैं। जितना अधिक आप कृतज्ञता पर ध्यान केंद्रित करेंगे, उतना आशावादी आप अपने मस्तिष्क को बना पायेगे ।
दूसरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें सोच को सकारात्मक बनाने के लिए 

दयालुता के कृत्यों ने महसूस किया कि अच्छा न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन किसी को भी मुस्कुराहट देने या प्रशंसा करने के सरल रूप से आप दोनों को खुशी महसूस होती हैं।
हर दिन किसी के लिए कम से कम एक प्रकार की चीज करने के लिए खुद को चुनौती दें, जैसे किसी धन्यवाद-ई-मेल भेजने, एक अजनबी के कप कॉफी खरीदने या अपनी पसंद के लिए दान करना। आप सिर्फ अच्छे कर्म की तुलना में इससे अधिक लाभ अर्जित करेंगे।

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White Poisons सफेद जहर

आप यह जानकर हैरान हो सकते हैं कि अनजाने में आप अपने दिन भर के भोजन में सफेद जहर के समान चीजो का का उपयोग कर रहे हैं। इन चीजो से पोषक तत्वों का मिलना तो दूर, आप इन खाद्य पदार्थों को खाकर अपने स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं। सफेद चावल, पाश्चराइज्ड गाय का दूध, परिष्कृत नमक और परिष्कृत चीनी ये 4 सफेद जहर हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं।
क्योंकि इन चार चीजो के पास आपके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक प्रोटीन, विटामिन या खनिजों की सही मात्रा नहीं है। इसके अलावा, ये उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे अन्य बीमारियों को विकसित करने का जोखिम बढ़ाते हैं ।  यह शोध के माध्यम से भी पाया गया है कि सफेद चावल खाने से मधुमेह का खतरा 17 प्रतिशत बढ़ जाता है। 

मैदा 
मैदा भी एक प्रकार का जहर है आटे को ब्लीच कर के मैदा बनाया  जाता है और ब्लीच करने से उसमें को पोषक तत्त्व नहीं रहता। 

चीनी है सफेद जहर के समान

सफेद चीनी या परिष्कृत चीनी रसायन से भरी होती है। इसमें कोई भी पौष्टिक मूल्य नहीं रहता है रासायनिक पदार्थ गन्ना या बीट से निकला है। फिर, इस पदार्थ का रस फाइबर मुक्त चीनी प्राप्त करने के लिए निकाला जाता है। रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान रस को चूना के साथ मिलाया जाता है। यह रस में मौजूद सभी विटामिन को मारता है। कैल्शियम सल्फेट और सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग चीनी के विरंजन (bleaching) के लिए भी किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से चीनी को अधिक सफेद दिखाने के लिए किया जाता है।

नमक है सफेद जहर के समान

सामान्य नमक में आयोडीन होता है। यह स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है लेकिन नमक को परिष्कृत करने में आयोडीन को नमक से हटा दिया जाता है। रिफाइनिंग की प्रक्रिया के दौरान फ्लोराइड जोड़ दिए जाते हैं  फ्लोराइड का अधिक मात्रा में लेना हमारे लिए खराब होता हैं परिष्कृत नमक को खाने से रक्तचाप भी बढ़ जाता है

परिशोधित चावल है सफेद जहर के समान 

रिफाइनिंग चावल की प्रक्रिया में बाहरी परत और रोगाणु को हटाया जाता है। चावल को अन्दर की परत के साथ छोड़ दिया जाता है,और  इस परत में बहुत बड़ी मात्रा में स्टार्च होता है जो आपके रक्त शर्करा या ग्लूकोज के स्तर को बहुत हद तक बढ़ा सकता है।

पाश्चरिज्ड गाय दूध है सफेद जहर के समान

इस दूध के बारे में केवल एक अच्छी बात यह है कि यह लम्बे समय तक ख़राब नहीं होता है। पास्चराइजेशन की प्रक्रिया लंबे समय तक दूध को अच्छा बनाये रखती है, लेकिन इसके पोषक तत्व को हानि पहुँचाती है।यह दूध से एंजाइम, विटामिन ए, बी 12 और सी को हटा देता है यह प्रक्रिया दूध में हार्मोन और एंटीबायोटिक दवाओं को स्थानांतरित करती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्रक्रिया में लैक्टोबैसिलस एसिडाफिलस जैसे आवश्यक और अच्छे बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते है। इसके अलावा, लगभग 20% आयोडीन को दूध से निकाला जाता है और इस प्रकार इसे लेने के बाद, आपको  कब्ज  होने की अधिक संभावना होती हैं।

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baking powder and baking soda is same बेकिंग पाउडर और बेकिंग सोडा में अंतर

हमें कई तरह की खाद्य सामग्री को तैयार करने में बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर की आवश्यकता पड़ती है। बेकरी के उत्पाद इनके इस्तेमाल के बिना नहीं बनाए जा सकते हैं। आमतौर पर केक, मफिन, बिल्कुट, ब्रेड जैसे कई खाद्य पदार्थ बनाने के लिए इनकी तैयार सामग्री में खमीर का उठना जरूरी होता है, और इसी खमीर को उत्पन्न करने के लिए बेकिंग पावडर की जरूरत पड़ती है।बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर के गुण आमतौर पर कई मामलों में एक समान है।ये दोनों पदार्थ किसी सामग्री में मिलाने पर ये दोनों गैस उत्पन्न करते हैं। 

बेकिंग पाउडर क्या है

बेकिंग पाउडर भी सोडा के बाइकार्बोनेट से ही बनता है लेकिन यह क्रीम या टर्टर एसिड मिश्रित एक पावडर होता है। बेकिंग पाउडर को क्रिया के लिए नमी की जरूरत होती है लेकिन इसमें अलग से अम्ल मिलाने की आवश्यकता नहीं होती है। बाजार में मिलने वाले ज्यादातर बेकिंग पाउडर डबल एक्टिंग कहलाते हैं इसका मतलब है कि इसकी प्रतिक्रिया दो भागों में होती है। पहली प्रतिक्रिया तब होती है जब बेकिंग पाउडर घुलने लगता है और जब इसे गर्म करते हैं तो इसकी दूसरी प्रतिक्रिया धीरे-धीरे शुरू होती है।
बेकिंग सोडा क्या है
शुद्ध सोडियम बाइकार्बोनेट होता है। जब बेकिंग सोडा को अम्लीय और क्षारीय दोनों तरह की सामग्री जैसे दही, चॉकलेट, बटर मिल्क, शहद, खट्टे जूस और विनेगर आदि के साथ मिलाया जाता है तो इनमें एक रासायनिक क्रिया  होती है जिससे कि इन सामग्रियों में कार्बन डाई ऑक्साइड के बुलबुले उठने लगते हैं और ये ओवन के तापमान पर तेजी से फैलते हैं और इसकी वजह से पकायी जा रही सामग्री फैलती है या फिर ऊपर उठती है। बेकिंग सोडा को किसी भी सामग्री में मिलाने के तुरंत बाद ही इसकी क्रिया शुरू हो जाती है। इसलिए रेसिपी को बनाने में बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जाता है।


दूसरे शब्दों में इसलिए बेकिंग पाउडर में अलग से अम्लीय (acidic) सामग्री मिलाने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि इसमें थोड़ा पानी मिलाने की आवश्यकता पड़ती है क्यों कि यह पानी मिलाने के बाद ही सक्रिय होता है और जब इसे गर्म किया जाता है तब यह अपना काम अच्छे तरीके से करता है। लेकिन आपको बेकिंग पाउडर के इस्तेमाल से पहले यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि किसी सामग्री में अधिक मात्रा में बेकिंग पाउडर मिलाने से उस सामग्री का स्वाद अधिक कड़वा हो जाता है इसलिए सीमित मात्रा में ही बेकिंग पाउडर का प्रयोग करना चाहिए। कुछ ऐसी भी रेसिपी हैं जिनमें बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर  दोनों मिलाया जाता है। 
बेकिंग पाउडर एवं बेकिंग सोडा में अंतर
सभी प्रकार के व्यंजनों में मौजूद अम्लता का स्तर अलग-अलग होता है और  इसी स्तर के हिसाब से आपको उसका अलग और संतुलित स्वाद पाने के बेकिंग पाउडर एवं बेकिंग सोडा दोनों के इस्तेमाल की जरूरत पड़ती है। जब बेकिंग सोडा एसिड के साथ क्रिया करता है तो इसे बेअसर कर देता है और सामग्री को अधिक क्षारीय बना देता है। इससे फिर आपको वह खाद्य सामग्री खाने में खट्टी लगती है। अगर आप इसकी क्रिया के बाद इसमें अलग से बाइकार्बोनेट मिला देते हैं तो इसका स्वाद खराब हो जाता है और इसे खाने में साबुन की तरह स्वाद (soapy taste)आता है। स्वाद को संतुलित रखने के लिए कुछ मामलों में बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर दोनों को सही मात्रा में मिलाने की जरूरत होती है।

बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर का इस्तेमाल 

उदाहरण के तौर पर यदि आपको बटर मिल्क बिस्कुट बनाना हो तो इसमें कितनी मात्रा में बेकिंग पाउडर मिलाना चाहिए। बटरमिल्क अम्लीय होता है। इसमें अधिक बेकिंग पाउडर मिलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन अगर आप जरा सा बेकिंग पावडर मिलाकर बटरमिल्क बिस्कुट बनाती हैं तो यह अधिक कुरकुरा और स्वादिष्ट बनेगा।
पकाने या सिंकाई से पकाने वाले खाद्य सामग्रियों में बेकिंग सोडा मिलाने का एक बड़ा कारण यह होता है कि यह उस खाद्य सामग्री को भूरा या सुनहरा रंग प्रदान करने में मदद करता है। इसीलिए बेकिंग सोडा और बेकिंग पावडर को बेकरी के सामग्री में एक साथ मिलाया जाता है ताकि उस सामग्री स्वाद भी बढ़ जाए और वह देखने में भी सुनहरे रंग की दिखे।

बेकिंग पाउडर और बेकिंग सोडा की गुणवत्ता जाएं

बेकिंग सोडा के गुणवत्ता की जांच करने के लिए दो चम्मच बेकिंग सोडा में दो चम्मच विनेगर मिलाएं। यदि इन दोनों को मिलाने पर बुलबुले उठने लगे तो बेकिंग सोडा की गुणवत्ता अच्छी है।

vaginal water पानी पीना सुरक्षित होता है या नहीं

सेक्स के दौरान योनि से नेचुरल तरल पदार्थ निकलता है जिसे योनि रस, योनि का पानी और वेजाइनल वाटर  कहते हैं लेकिन जब लोगों के मन में इसको लेकर कई प्रकार के सवाल होते है जैसे की ओरल सेक्स के दौरान योनि का पानी पीना सुरक्षित होता है, लड़की की योनि को जीभ से चाटने समय निकलने वाले पानी को पीने के फायदे तथा नुकसान क्या है, क्या योनि का पानी पीना सही है, और योनि का पानी क्या होता है यह क्यों निकलता है इन सब सवालों के जावाब आपको इस लेख में मिल जायेंगे।

यौन संबंध बनाना हर रिलेशनशिप में प्यार बनाए रखने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। अगर पार्टनर्स के बीच आपसी सहमति और प्यार से यौन संबंध बनाए जाते हैं तो यह परम आनंद की अनुभूति करवाता है। ओरल सेक्स भी सेक्स का एक प्रकार होता है जिससे महिला और पुरुष दोनों को समान रुप से आनंद की अनुभूति होती है। ओरल सेक्स पर्याप्त संतुष्टि प्रदान करता है और सेक्स करने की 69 पॉजिशन में दोनों पार्टनर्स एक साथ ओरल सेक्स कर सकते हैं।
पुरुष जब महिलाओें के साथ ओरल सेक्स करते हैं तो उन्हें चरम सीमा तक सुख की अनुभूति होती है जिसे देखना पुरुषों के लिए भी आनंददायक होता है। ओरल सेक्स करते समय महिला के जननांगों से पानी निकलाता है, महिलाओं की वेजाइना से निकलने वाला पानी वेजाइनल वाटर होता है जिसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। इस डिस्चार्ज की एक अलग ही गंध होती है लेकिन यह अक्सर बुरी नहीं होती है।

बहुत बार अगर इस डिस्चार्ज के कारण पुरुष योनि चूसना बंद कर देते हैं तो सेक्सुअल आनंद खत्म हो जाता है। अक्सर पुरुषों के मन में यह संशय होता है कि कहीं योनि का पानी उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो नहीं हैं ? कहीं योनि का पानी पीने से कोई नुकसान तो नहीं होता है? ऐसा सोचकर पुरुष अक्सर योनि का पानी नहीं पीते और इससे ओरल सेक्स (oral sex) का मजा खराब हो जाता है।

क्या होता है योनि का पानी



महिलाओं की वेजाइना में मौजूद तरल योनि का पानी कहलाता है। योनि का पानी तब निकलता है जब ओरल सेक्स करते हैं। महिलाओं की वेजाइना ग्रंथि से प्राकृतिक रुप से यह वेजाइनल डिस्चार्ज होता है। यह तरल पानी की तरह होता है बस इसका रंग थोड़ा सफेद  होता है और यह हल्का गाढ़ा होता है इसलिए योनि का पानी भी कहा जाता है।

कब-कब निकलता है महिलाओं की योनि से पानी

फोरप्ले करने पर, इंटिमेट होते समय, योनि चूसने के समय और ओरल सेक्स करते समय महिलाओं की योनि से पानी निकलता है। इसके अलावा कामुकता, उत्तेजना का एहसास जब भी होता है तो भी योनि से पानी निकलता है।

क्यों निकलता है महिलाओं की योनि से पानी

योनि का पानी मुख्य रुप से लुब्रिकेशन का काम करता है। इससे सेक्स करने में काफी आसानी होती है। महिलाओं के सेक्स करने के लिए तैयार होने का संकेत देने के लिए भी वेजाइनल डिस्चार्ज काफी जरुरी होता है।

कैसा होता है योनि से निकला पानी

इसका स्वाद हल्का एल्केलाइन  जैसा होता है, इस फ्लूइड का साधारण तौर पर एक गंध होती है लेकिन इसे दुर्गंध नहीं कहा जा सकता है। महिलाओं की वेजाइना में गुड बैक्टीरिया होते हैं जिन्हें प्रोबायोटिक्स कहा जाता है। ये प्रोबायोटिक्स बहुत सारे सप्लीमेंट्स और योगर्ट में भी पाए जाते हैं। वेजाइना में लैक्टोबेसिलस बैक्टिरिया होता है जो कि वेजाइना के pH को बैलेंस करता है। वेजाइना का स्वस्थ (healthy) pH लेवल 4.5 होता है। लैक्टोबेसिलस लेक्टिक एसिड पैदा करता है जो कि वेजाइना के pH लेवल को सही रखने में मदद करता है।

क्या वेजाइना का पानी पीना सुरक्षित होता है- 

योनि से निकलने वाला पानी यानि वेजाइनल वाटर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता है। इसलिए ओरल सेक्स के दौरान इसे पी भी सकते हैं ऐसा करना हानिकारक नहीं होता है। हां, इसके लिए जरूरी होता है कि आपका पार्टनर सेक्सुअल ट्रांसमिट डिज़ीज (STD) यानि की यौन संचरित रोग का शिकार ना हों। महिलाओं के लिए भी जरुरी है कि वे खुद के और पार्टनर के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए अपनी वेजाइना को पूरी तरह साफ और स्वस्थ रखें। इसके लिए किसी भी प्रोडक्ट या सादे पानी से वेजाइना जरुर साफ करें और अपनी डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो कि वेजाइना की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।

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