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tofu health benefits टोफू से होने वाले स्वास्थ्य लाभ

मोटापे व अधिक वजन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बढ़ती जानकारी व स्वस्थ रहने में बढ़ते झुकाव के चलते टोफू रोशनी में आया है। वास्तविकता में इसका एक लम्बा इतिहास है। इसकी उत्पत्ति चीन में 2000 साल पहले हुई थी। टोफू या बीन का दही एक नरम चीज़़ जैसा पदार्थ है जो सोया के गाढ़े दूध से बना है। इस दूध पर दबाव दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप ये सफेद नरम क्यूब बनते है। प्रोटीन्स, मिनरल्स व कैल्शियम में प्रचुर होने के कारण ये मांस का अच्छा विकल्प है और शाकाहारीयों के लिए अनुकूल है। यह स्वास्थ के लिए लाभकारी मिनरल्स जैसे आयरन, कॉपर, मैग्नेशियम, मैंगनीज़, फॉस्फोरस और सेलेनियम से प्रचुर होता है। 

टोफू के स्वास्थ लाभ अनगिनत हैं। ये ना केवल क्रोनिक बिमारियों जैसे डायबिटीज़ हाई ब्लड प्रेशर से सुरक्षा करता है बल्कि कुछ कैंसर जैसे ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर से भी बचाता है। साथ ही यह वजन घटाने में सहायक है और जवां त्वचा व अच्छे घने बाल भी प्रदान करता है।

 हृदय स्वास्थ सुधार 
विकसित देशों में हार्ट अटैक व हृदय-प्रणाली रोग मृत्यु का सबसे बड़ा कारण उभरे हैं और ये सब हमारी अस्वास्थकारी भोजन की आदतों के कारण जो कि अधिकतर प्रोसेस्ड फूड पर आधारित हैं। टोफू का नियमित सेवन आघात और अन्य हृदय संबधी-रोगों के खतरे को कम करने में मदद करता है क्योंकि टोफू रक्त में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और LDL स्तर को कम करने मे मदद करता है। 

ब्लड प्रेशर को सही बनाए रखना 

फरमेन्टेड टोफू में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं ओैर सूजन रोधी के तौर पर काम करते हैं। इससे सूजन व वाहिनियों को हानि कम होती है। ये हाई ब्लड प्रेशर को कम कर उसे नियंत्रण में रखने में मदद करता है। टोफू को अपने नियमित भोजन में शामिल करें व अपने हृदय को सूजन के हानिकारक प्रभाव से बचाएँ।

कैंसर से बचाव में मदद 

आज के समय में कैंसर पूरी दुनिया में मृत्युओं का एक सबसे बड़ा कारण है। टोफू फ्लेवोनॉयड्स व आइसोफ्लेवनायड्स का अच्छा स्त्रोत हैं जो कि कैंसर वाले सेल्स की बढ़़त रोकने में मदद करते हैं। जेनिस्टिन कैंसर रोकने वाले प्रोटीन्स की गतिविधियों से बढ़़ाता है जिससे कैंसर के सेल्स का बढ़़ना रुकता है, खास तौर पर ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के मामले में।

मोटापे से लड़ना व वजन कम करने में मदद

अत्याधिक कम कोलेस्ट्रॉल व वसा की मात्रा के कारण टोफू वजन और मोटापे को कम करने में असरदार रूप से मदद करता है। फरमेन्टेड टोफू के पेप्टेन्स सेल्स में खास फैटी एसिड्स को जमा होने को रोकते हैं जो कि फैट को जला कर मोटापे को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। अगर आप कुछ किलो वजन कम करना चाहते है, तो इस स्वस्थ भोजन को अपनी नियमित डाइट में शामिल करें।

टाइप-2 डायबिटीज़़ को रोकना 


कम फैट व कम कैलोरी के कारण टोफू डायबिटिक्स के लिए अनूकूल खाद्य पदार्थ है। सोया पदार्थ रक्त का इन्सुलिन के प्रति रोधन कम करने में सक्षम पाए गए हैं। रोज करीब 200 ग्राम टोफू का सेवन टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को बहुत हद तक कम कर सकता है। टोफू में प्रोटीन्स व पोषक तत्वों का उच्च स्तर टाइप-2 डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों का रक्त शर्करा स्तर कम व नियंत्रित करने में मदद करता है।

त्वचा की उम्र बढ़ाना

टोफू ना सिर्फ स्वास्थ के लिए अच्छा है बल्कि ये त्वचा के लिए भी उम्दा है। टोफू के प्रोटीन्स त्वचा का लचीलापन सुधारने में और चेहरे की मांसपेशियों को खिंचा हुआ रखने में मदद करते हैं। ये हमारी त्वचा को युवा व नरम बनाते हैं। यह त्वचा को पोषित करता है और समय से पहले बढ़़ना रोकने में मदद करता है।

मेनोपॉज़ से संबंधित विकारों से बचाव 

मेनोपॉज़ महिलाओं के लिए एक कठिन समय है। मेनोपॉज़ से पहले महिलाएँ एस्ट्रोजन होर्मोन के असंतुलन का अनुभव करती हैं जो कि कई प्रभाव छोड़ता है जैसे मूड़ का उतार-चढ़़ाव, नींद के विकार, सर दर्द, उत्तेजना और चक्कर आना।
टोफू में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स व आइसोफ्लेवनायड्स शरीर में उचित एस्ट्रोजन का स्तर पुनःस्थापित करते हैं जिससे मेनोपॉज़ से जुड़े लक्षणों में राहत मिलती है। टोफू की उच्च कैल्शियम मात्रा ओस्टियोपोरोसिस व हड्डियों के खजने से भी सुरक्षा करती है जो कि महिलाओं में मेनोपॉज़ के बाद बहुत आम है।

रह्यूमेटॉइड गठिया से बचाव व हड्डियों के स्वास्थ में सुधार 

कैल्शियम व मैग्नेशियम में प्रचुर होने के कारण, टोफू हड्डियों का स्वास्थ सुधारने में मदद करता है। टोफू में मौजूद सोया प्रोटीन बच्चों में हड्डियों के विकास व बड़ों में हड्डियों के खजने को रोकने में मदद करता है। साथ ही टोफू में मौजूद आइसोफ्लेवनायड्स 40-50 वर्ष की महिलाओं व उम्रदराज लोगों में गठिया व ऑस्टियोपोरोसिस को होने से रोकते हैं। स्वस्थ व मजबूत हड्डियों के लिए टोफू को बच्चों व बुजुर्गों के भोजन में सम्मिलित करें।

प्रतिरोधी तंत्र मे सुधार

प्रतिरोधी तंत्र हमारे शरीर की बाहरी जीवों और बिमारियों के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली है। स्वस्थ शरीर के लिए प्रतिरोधी तंत्र की उचित कार्यप्रणाली को बरकरार रखना महत्त्वपूर्ण है। वैसे कई बाहरी तत्व इस कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं किन्तु पोषण इसमें अह्म किरदार अदा करता है। टोफू प्रोटीन्स, पोषण तत्वों, मिनरल्स से भरपूर है जो प्रतिरोधी तंत्र की कार्यप्रणाली को सुधारने में मदद करता है।

बालों का झड़ना रोकना 

इंसानो के बाल मुख्यतः प्रोटीन से बने हैं और बालों के स्वास्थ, गुणवत्ता और चमक को बरकरार रखने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। प्रोटीन और सेलेनियम जैसे मिनरल्स का अच्छा स्त्रोत होने के कारण टोफू बालों का झड़ना रोकता हैं व बालों की बढ़़त सुधारता है। चमकदार व सजीव बालों के लिए टोफू को अपने रोज़ के भोजन में सम्मिलित करें।

benefits of drinking hot water after meals खाने के बाद गुनगुना पानी जरूर पिए



हम जानते है कि हाइड्रेटेड रहना, विशेषरूप से दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना हमारे स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है। लेकिन क्या आप जानते है कि गुनगुने पानी के अनेक स्वास्थ्यकारी लाभ है जिसमें वजन घटाना और पाचन में सुधार भी सम्मिलित है। 


1. भोजन के बाद पानी पीना, विशेषरूप से गुनगुना पानी स्लिम बने रहने और मेटाबोलिज्म को बढ़ाने का अच्छा उपाय है।

2. यह आपके शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करता है जिससे आपकी मेटाबोलिज्म दर बढ़ती है।
3. यह भोजन नलियों में जमे हुए खाद्य पदार्थ विशेषरूप से फैट को साफ करता है, और जिन खाद्य पदार्थों का आपने सेवन किया है उनके अच्छी तरह से पाचन में सहायता करता है।
4. गुनगुना पानी आपके शरीर से विषैले पदार्थों को साफ करने में सहायता करता है और सूजन कम करता है।
इसका उपयोग कैसे करें
  • जब आप भोजन कर रहे हो तब सामान्य या ठण्डे पानी की बजाए गुनगुने पानी का उपयोग करें।
  • आप इसे घूंट-घूंट भोजन के दौरान या भोजन के थोड़ी देर बाद पी सकते है।
  • यदि आप भोजन के बाद पानी पी रहे है तो ध्यान रखे कि इसे तेजी से नहीं पीएं और इसे घूंट-घूंट कर पीएं।

benefits of taking protein PROTEINS POWDER क्या होता है

प्रोटीन में आवश्यक एमिनो एसिड  होते है।
प्रोटीन में जलननाशक तथा कैंसरनाशक तत्व होते है। यह डायबिटिज तथा हृदय रोग को ठीक करने के पूरक के तोर पर देखा जाता है।
जो लोग एच आई वी (एड्स ) से ग्रस्त है उनके लिए यह वजन कम करने में सहायक है।
सभी प्रकार के प्रोटीन शेक में व्हेय प्रोटीन लोगों का सबसे फेवरेट प्रोटीन है जो अपनी प्रोटीन बनाता है तथा माँसपेशियाँ विकसित करता है।

प्रोटीन शेक  क्यों पिए ? (Why Should We Drink Protein Shake):
प्रोटीन शेक माँसपेशियों, हार्मोन्स, न्युक्लीक एसीड, एन्जाइम तथा अन्य इम्युनिटी तत्वों के लिए आवश्यक है
प्रोटीन उच्च मात्रा में है। इससे माँसपेशियो के क्षतिग्रस्त होने का खतरा होता है।
पर्याप्त प्रोटीन की मात्रा शरीर के अनेक कारक जैसे हार्ट सर्कुलेशन सिस्टम, माँसपेशियो की वृद्धि, मरम्मत व पुर्ननिर्माण के लिए आवश्यक हैं।
प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा के बिना उत्तक तथा अन्य अंगो का शरीर विकास करने में असक्षम होता है। सही शेक पिए।
शेक जल्दी असर नहीं करेगा। इसके लिए  एक्सरसाइज भी करते रहें।

vitamin d benefits विटामिन D की कमी के लक्षण पहचाने

विटामिन-डी शरीर के विकास, हड्डियों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। धूप के संपर्क में आने पर त्वचा इसका निर्माण करने लगती है। हालांकि यह विटामिन खाने की कुछ चीज़ों से भी प्राप्त होता है,लेकिन इनमें यह बहुत ही कम मात्रा में होता है। केवल इनसे विटामिन-डी की जरूरत पूरी नहीं हो जाती है। 

विटामिन D की कमी से सिर से पसीना आता है। अगर ज़्यादा मात्रा में पसीना आए तो इसे अनदेखा ना करे, यह विटामिन D की कमी का शुरुआती लक्षण है।

विटामिन D की कमी से मसल्स में दर्द और जोड़ो में दर्द होता है

विटामिन D की कमी होने पर Psoriasis हो सकता है जो की विटामिन D की कमी से होता है। अच्छी मात्रा में धुप लेने से इस बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

शिशु में इसकी कमी होने पर मासपेशियों में मरोड़े, सास लेने में परेशानी और दौरे आने की परेशानी हो सकती है। उनके शरीर में कैल्शियम की भी कमी हो जाती है।

इसकी कमी के चलते मसूडो की बिमारिया होने का ख़तरा पैदा हो जाता है। जैसे मसूडो में सूजन, लाल होना और मसूडो से खून बहना।

समय पर दाँत ना आना भी विटामिन D की कमी का ही लक्षण है। 

विटामिन D की कमी के कारण कमर में दर्द रहता है।

जिन महिलाओ के शरीर में विटामिन D की कमी होती है, वो हमेशा उदास रहने के साथ साथ तनाव में रहती है।

विटामिन D की कमी से कई बार मूड भी अचानक से बदलने लगता है।


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dark legs remedies काली पड़ी जांघो को ऐसे करे साफ़

महिलाओं के शरीर का यह हिस्सा ढका रहने के बावजूद भी काला पड़ जाता है। आमतौर पर महिलाओं के कपड़े ऐसे होते हैं कि काली जांघें किसी को नजर नहीं आतीं और यही वजह है कि हर कोई इन्हें बड़ी आसानी से नजरअंदाज कर देता है। कई बार आप किसी ख़ास काम को लेकर बेहद उत्साहित रहती हैं तभी उसमें अपनी काली जांघों के कारण हिस्सा नहीं ले पातीं या लेती भी हैं तो शर्मिदा होतीं हैं। 



1. नींबू और दही : नींबू को नेचुरल ब्लीच के तौर पर जाना जाता है। खूबसूरती के मामले में दही भी पीछे नहीं। इन दोनों का कॉम्बिनेशन मतलब जांघों के कालेपन पर डबल वार। इन्हें मिक्स कर लगाएं कालापन धीरे धीरे दूर होगा।
हर दिन इस मिक्चर को आधा घंटे लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। एक हफ्ते तक इसे आजमाना है।
2. शहद, नींबू और तेल : शहद अपनी तरह का अनोखा तत्व है। यह छूने में कोमल है लेकिन काम एक्सफोलिएशन का करती है। यह आपके डेड स्किन सेल्स हटा देती है और स्किन के सेल्स को नया जीवन देती है। ऑलिव ऑइल त्वचा को नर्म और कोमल बनाता है। एक समान मात्रा में नींबू का तेल, हनी और तेल लेकर मिक्स करें। इस पेस्ट को जांघो पर लगाएं और 20 मिनिट के लिए छोड़ दें। बाद में गुनगुने पानी से धो लें। दो हफ्तों में आपको फर्क महसूस होगा।

3 चावल का पानी : कई लोगों की सेंसिटिव स्किन होने के कारण उन्हें नींबू के उपयोग से खुजली और जलन की समस्या आती है। ऐसे में चावल का पानी आपके लिए बढ़िया है। सिर्फ थोड़ा चावल बनाएं जिसमें नमक और तेल न मिलाएं। इसके पानी को संभाल कर रखा लें। इसे ठंडा होने दें और एक स्प्रे बोतल में भर लें। इसे अपनी जांघों पर स्प्रे करते रहें। इसे पानी से धोने की भी जरूरत नहीं। कपडे पहनने के पहले जांघों को अच्छे से सुखा लें।

4. बेसन और ऐलोवेरा : बेसन और ऐलोवेरा ऐसे ब्यूटी चीजें हैं जो रामबाण की तरह काम करती है। बात भले ही कलर सुधारने की हो या स्किन को स्मूथ बनाने की, इनसे बेहतर मिक्स हो ही नहीं सकता। जांघों के लिए भी आप इसे अपनाकर देखें। आपको इन्हे मिलकर जांघ पर लगाकर 20 मिनिट सूखने देना है। फिर धो लीजिए। दो हफ्ते तक इस प्रक्रिया को दोहराएं।

5. हाइड्रोजन पैरॉक्साइड : हाइड्रोजन पैरॉक्साइड का इस्तेमाल घाव धोने में किया जाता है। यह कीटाणु किल करता है।
आप घर पर इसे रखते ही होंगे।
आसान सा काम बचा है। आप रूई को हाइड्रोजन पैरॉक्साइड से थोड़ा गीला करें और अपनी जांघों पर लगा लें। इस प्रयोग से जर्म्स और बैक्टीरया ख़त्म होते हैं और इससे कालापन जाता है।
हाइड्रोजन पैराक्साइड के उपयोग के पहले भी खुद पर इसकी सेंसिटिविटी चेक कर लें।

bilva patra uses बेलपत्र के ये सेहत लाभ

बिल्वपत्र जिसे बेलपत्र का प्रयोग खास तौर से भगवान शिव के पूजन अभिषेक में किया जाता है। लेकिन अगर इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो यह आपकी कई सेहत समस्याओं का बेहतरीन इलाज साबित हो सकता है। 


1 बुखार होने पर बेल की पत्तियों के काढ़े का सेवन लाभप्रद है। यदि मधुमक्खी, बर्र अथवा ततैया के काटने पर जलन होती है। ऐसी स्थिति में काटे गए स्थान पर बेलपत्र का रस लगाने से राहत मिलती है।

हृदय रोगियों के लिए भी बेलपत्र का प्रयोग बेहद फायदेमंद है। बेलपत्र का काढ़ा बनाकर पीने से हृदय मजबूत होता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। श्वास रोगियों के लिए भी यह अमृत के समान है। इन पत्तियों का रस पीने से श्वास रोग में काफी लाभ होता है।

3 शरीर में गर्मी बढ़ने पर या मुंह में गर्मी के कारण यदि छाले हो जाएं, तो बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाने से लाभ मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।

बवासीर आजकल एक आम बीमारी हो गई है। खूनी बवासीर तो बहुत ही तकलीफ देने वाला रोग है। बेल की जड़ का गूदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह शाम ठंडे पानी के साथ लें। यदि पीड़ा अधिक है तो दिन में तीन बार लें। इससे बवासीर में फौरन लाभ मिलता है।

यदि किसी कारण से बेल की जड़ उपलब्ध न हो सके तो कच्चे बेलफल का गूदा, सौंफ और सौंठ मिलाकर उसका काढ़ा बना कर सेवन करना भी लाभदायक होगा। यह प्रयोग एक सप्ताह तक करें।

बरसात में अक्सर सर्दी, जुकाम और बुखार की समस्याएं अधिक होती हैं। ऐसे में बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद है। वहीं विषम ज्वर हो जाने पर इसके पेस्ट की गोलियां बनाकर गुड़ के साथ खाई जाती हैं।

पेट या आंतों में कीड़े होना या फिर बच्चें में दस्त लगने की समस्या हो, बेलपत्र का रस पिलाने से काफी फायदा होता है और यह समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।



पायल पहनने से होते हैं सेहत के अनोखे फायदे

पैरों में पहनी जाने वाली पायल,  छमछम आवाज किसे नहीं अच्छी लगती। यह पारंपरिक आभूषण सिर्फ नवविवाहितों के लिए नहीं है बल्कि अब यह फैशन का नया ट्रेंड भी बन रही है। आपको यह जानकर अचरज होगा कि इन्हें पहनने से सेहत की भी कई समस्याओं का निवारण होता है।


पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है।

पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढ़ने की गति को रोकती है।

वास्तु के अनुसार पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा को दूर करती है।

चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती हैं।

पैर में पायल पहनने से महिला की इच्छा-शक्ति मजबूत होती है। यही वजह है कि औरतें अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना पूरी लगन से परिवार के भरण-पोषण में जुटी रहती हैं।

pani puri street food पानीपुरी खाने से हो सकता है अन्य बीमारियां भी

रोडसाइड या किसी पॉश शॉप में अगर आप भी मुंह खोलकर पानीपुरी का शौक फरमाते हैं तो आपके लिए बेहद बुरी खबर है। आपकी पानीपुरी आपको बीमार कर रही है। इतनी भयंकर बीमारी दे सकती है कि आप सहन नहीं कर पाएंगे।

यूं ही नहीं गुजरात के वडोदरा शहर में लोग अब इसे नहीं खा पाएंगे, क्‍योंकि यहां नगर निगम ने साफ-सफाई का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अन्य खतरों से तो अभी आप दो चार हुए ही नहीं हैं।
कैंसर, नाम तो सुना ही होगा आपने। पानीपुरी नाम तो इसका भी सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी जाना कि इन दोनों का कनेक्शन कितना गाढ़ा है। सकते में आ जाएंगे जब पता चलेगा बार बार पानीपुरी खाकर कैसे आप दे रहे हैं इस भयंकर बीमारी को निमंत्रण

पानीपुरी
का लिवर पर असर खतरनाक है : जहां इसके नाम से ही आपके मुंह में पानी आता है वहीं आपके लिवर को डैमेज करती है पानीपुरी। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पानीपूरीवाले बासी मावे और आर्टिफिशयल रंग मिलाकर हरा, टेस्टी, चटखारेदार पानी आपको परोसते हैं। आपकी आंतों के लिए ये बहुत ज्यादा हानिकारक है।

कैंसर को कैसे हैं खुला निमंत्रण : आपको दी जानी वाली पानीपुरी की ठेलों पर बनाई जाने वाली प्रक्रिया ही ऐसी है कि इसमें गंदगी की भरमार रहती है। जब ठेले वाला पूरा हाथ पानी में डालता है तो सोचिए कितनी गंदगी इस पानी में मिलती रहती है। इससे आपको आंतों का कैंसर होने की संभावना होती है।

पानी को बनाने का तरीका सबसे खतरनाक है : धनिया, पुदीना, चटनी के स्थान पर पानी में आर्टिफिशयल रंग और बासी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इतना सारा पानी बनाने के लिए और इतने कम दाम में कोई भी असली चीजों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। ये बाजारू कलर आपके शरीर में जमते रहते हैं और कैंसर की वजह बन सकते हैं।

ब्लडप्रेशर बढ़ना : अगर आप ब्लडप्रेशर के मरीज हैं तो पानीपुरी न खाएं। पानी पूरी के पानी में बहुत ज्यादा नमक क इस्तेमाल किया जाता है। इससे आपके शरीर को नुकसान होता है। साथ ही पूरी को कई बार इस्तेमाल किए गए तेल में तला जाता है जिससे आपको नुकसान होता है।

best food for skin glow यह चीजों का सेवन बचाएगा प्रदूषण से

बात चाहे मेट्रो सिटीज की हो या शहर या गांव, प्रदूषण हर जगह पैर प्रसार चुका है।  आपके दिल में हर दम भर रहा है जहरीला धुंआ। देश के कई शहर प्रदूषण की चपेट में हैं और कई बार मौसम विशेष में ऐसे हालात बन जाते हैं कि प्रदूषण न सिर्फ स्वास्थ्य खराब करता है बल्कि लोगों को धुंए की वजह से दिखाई देना तक बंद हो जाता है। अगर आलम ऐसा हो जाए तो मतलब है कि प्रदूषण भयानकरूप ले चुका है और कुछ बेहद बड़ा किया जाना जरूरी है।  
 
जब हालत ऐसे हैं तो आपके पास करने के लिए क्या बचता है। आप समझ नहीं पा रहे ऐसा क्या करें जो प्रदूषण आपको नुकसान न पहुंचा पाए। जवाब एकदम सीधा है कि आपके ऑर्गन यानी कि आपका दूषित तत्व बाहर निकालने वाला सिस्टम ही आपको इस खतरे से बचा सकता है। जब बाहर के वातावरण पर नहीं आपका बस तो अंदरूनी ताकत इतनी बढ़ा लीजिए की प्रदूषण कुछ न बिगाड़ पाए आपका।
  
1. टमाटर :  टमाटर में लाइकोपीन होता है| लाइकोपीन एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है।  यह श्वसनतंत्र के चारों तरफ एक सुरक्षा लेयर बना देता है। इससे धूल के कण श्वसनतंत्र में अंदर नहीं जा पाते।  
 
2. आंवला : शोधों से साबित हो चुका है कि आंवला स्वास्थ्य के लिए वरदान है।  आंवले का सेवन शरीर से उन सभी विकारों  को बाहर निकाल फेंकता है जो प्रदूषित धुंए के कारण पैदा हुए हैं।  लिवर को इन प्रभावों से बचाए रखता है।  
 
3. हल्दी : हल्दी सबसे अधिक ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट है।  यह फेंफड़ों को धुंए के हानिकारक प्रभावों  से सुरक्षित रखती है।   यह लिवर का भी शोधन करती है।  हल्दी और घी को मिलाकर खाने से खांसी और अस्थमा से छुटकारा मिलता है।
4. तुलसी : तुलसी के पत्ते फेंफड़ों को प्रदूषण से बचाए रखते हैं।  जहां तुलसी होती है वहां की वायु अपने आप  शुद्ध हो जाती है।  अच्छे स्वास्थ्य के लिए तुलसी  पौधा आसपास जरूर रखें।  तुलसी का ज्यूस हर दिन पिएं।  
 
5. विटामिन सी से भरे फल : ऐसे कोई फल जिनमें संतरा, नींबू, कीवी, मौसंबी और अमरूद शामिल हैं आपको प्रदूषण  बचाएंगे।  ये नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट हैं।   
 
6. गुड़ : सांस से जुडी समस्याओं के लिए गुड़ बेहद फायदेमंद है।  अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में गुड़ के सेवन से आराम मिलता है।   तिल के साथ गुड़ सांस की मुश्किलों को दूर कर देगा।  
 
 7 . ग्रीन टी :  एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ग्रीन टी के सेवन से शरीर के दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं।  हर दिन दो कप ग्रीन टी और आपका श्वशनतंत्र एकदम साफ़। 


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