त्वचा संबंधी विकारों में भी दूब घास के फायदे मददगार साबित होते हैं. ऐसा इसमें पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट होने के कारण होता है. इससे ये खुजली, एक्जीमा, स्किन रशेज और अन्य कई समस्याओं के इलाज में उपयोगी है. हल्दी पाउडर के साथ इसे मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे तवचा पर लगायें.
मधुमेह को करें दूर कई शोधों में ये बात सामने आई है कि दूब या दुर्वा में ग्लाइसेमिक क्षमता अच्छी होती है। इस घास के अर्क से मधुमेह रोगियों पर महत्वपूर्ण हाइपोग्लिसीमिक प्रभाव पड़ता है। इसका सेवन डायबिटिक पैंशेंट के लाभदायक है।
एनीमिया दूर करें दूब के रस को हरा रक्त कहा जाता है, क्योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्या को ठीक किया जा सकता है। दूब ब्लड को शुद्ध करती है एवं लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करती है जिसके कारण हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
आयुर्वेद के अनुसार चमत्कारी वनस्पति दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, पोटाशियम पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होते हैं जोकि विभिन्न प्रकार के पित्त एवं कब्ज विकारों को दूर करने में राम बाण का काम करते हैं। यह पेट के रोगों, यौन रोगों, लीवर रोगों के लिए असरदार मानी जाती है।
आयुर्वेद के विद्वानों के अनुसार दूब और चूने को बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर माथे पर लेप करने से सिरदर्द में तुंरत लाभ होता है। वहीं अगर दूब को पीसकर पलकों पर लगाया जाए तो इससे आंखो को फायदा पहुंचता है और नेत्र सम्बंधी रोग दूर होते हैं ।
दूब के काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छाले मिट जाते हैं। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी अच्छा होता हैं क्योंकि इस पर नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढती है।
नकसीर की परेशानी होने पर अनार पुष्प स्वरस को दूब के रस के साथ के साथ मिलाकर उसकी 1 से 2 बूंद नाक में डालने से नकसीर में काफी आराम मिलता है और नाक से खून आना तुंरत बंद हो जाता है।
दूब के रस को मिश्री के साथ मिलाकर पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है.. साथ ही 1 से 2 ग्राम दूर्वा को दूध में पीस छानकर पीने से पेशाब में जलन, पेशाब करते हुए दर्द होना और यूरिन इंफेक्शन से निजात मिलता है।
मधुमेह को करें दूर कई शोधों में ये बात सामने आई है कि दूब या दुर्वा में ग्लाइसेमिक क्षमता अच्छी होती है। इस घास के अर्क से मधुमेह रोगियों पर महत्वपूर्ण हाइपोग्लिसीमिक प्रभाव पड़ता है। इसका सेवन डायबिटिक पैंशेंट के लाभदायक है।
एनीमिया दूर करें दूब के रस को हरा रक्त कहा जाता है, क्योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्या को ठीक किया जा सकता है। दूब ब्लड को शुद्ध करती है एवं लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करती है जिसके कारण हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
durva grass benefits दूर्वा, किसी औषधि से कम नहीं
सुंदरता बनाए रखता है दूब में एंटी इंफ्लमेटरी और एंटीसेप्टिक एजेंट होने के नाते खुजली,स्किन रैशेज और एग्जिमा जैसी त्वचा की समस्याओं से निजात मिलता है। हल्दी पाउडर के साथ इस घास का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाए। इससे चेहरे पर बने फोड़े फुंसी का भी खत्मा होता है।आयुर्वेद के अनुसार चमत्कारी वनस्पति दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, पोटाशियम पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होते हैं जोकि विभिन्न प्रकार के पित्त एवं कब्ज विकारों को दूर करने में राम बाण का काम करते हैं। यह पेट के रोगों, यौन रोगों, लीवर रोगों के लिए असरदार मानी जाती है।
आयुर्वेद के विद्वानों के अनुसार दूब और चूने को बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर माथे पर लेप करने से सिरदर्द में तुंरत लाभ होता है। वहीं अगर दूब को पीसकर पलकों पर लगाया जाए तो इससे आंखो को फायदा पहुंचता है और नेत्र सम्बंधी रोग दूर होते हैं ।
दूब के काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छाले मिट जाते हैं। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी अच्छा होता हैं क्योंकि इस पर नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढती है।
नकसीर की परेशानी होने पर अनार पुष्प स्वरस को दूब के रस के साथ के साथ मिलाकर उसकी 1 से 2 बूंद नाक में डालने से नकसीर में काफी आराम मिलता है और नाक से खून आना तुंरत बंद हो जाता है।
दूब के रस को मिश्री के साथ मिलाकर पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है.. साथ ही 1 से 2 ग्राम दूर्वा को दूध में पीस छानकर पीने से पेशाब में जलन, पेशाब करते हुए दर्द होना और यूरिन इंफेक्शन से निजात मिलता है।