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जो दृश्य दिमाग में बनता वो हकीकत भी बन सकता है, The scene that can be created in the brain can also be reality

किताब कहती है पैसा भी आप के व्यवहार के मुताबिक ही आता है अच्छा सोचोगे अच्छा होगा। दिल से सोचेंगे तभी आएगा।
बात 1958 की है अमेरिका में मंदी का दौर था। कैथरीन पौण्डर के यूनिटी चर्च के कुछ सदस्यों ने उनसे पूछा की कैसे इस स्थिति से निकले। इसके बाद पौण्डर ने प्रोस्पेरिटी क्लासेस देना शुरू किया। असर यह हुआ की कई सदस्यों ने अपने जीवन में नाटकीय बदलाव महसूस किये। उन्हें उम्मीद से ज्यादा तरक्की और समृद्धि मिली। कर्ज से मुक्त हो गए। इसके बाद पाउंडर ने डायनामिक लॉ ऑफ़ प्रोस्पेरिटी किताब लिखी। इसमें समृद्धि के रहस्य तकनीक के बारे में वे कहती है की दिमाग द्र्श्यो पर काम करता है। जो भी दृश्य हम देखते है या जिनकी दिमाग कल्पना करता है वह हकीकत बन सकते है। जब आप समृद्धि की तस्वीरों की कल्पना करे तो इसमें सिमित होने की जरुरत नहीं है जो भी सोचे बड़े से बड़ा सोचे। पाउंडर लिखती है की ईश्वर हमारे मस्तिष्क का दरवाजा खटखटाता है और सारी सम्भवनाओ को जाहिर करने का मौका देता है , लेकिन आपको छोटी सफलताओं के बारे में नहीं सोचना है आप ऐसा करते है तो छोटी घटनाओ और छोटी उमीदो की धारा में बाह जाते है। 

किताब कहती है आप जो चाहते हैं उसके बारे में स्पेसिफिक होना जरुरी है , क्योंकि यह आपकी उम्मीदों का ईंधन है और या विस्तृत ही होना चाहिए। एक कहावत की किस्मत भी बहादुर लोगो का साथ देती है इसका मतलब है , जीवन में उन्ही लोगों के रास्ते सीधे और स्पष्ट है जो यह जानते है की वे क्या चाहते है। 

पाउंडर कहती है की कभी भी अपनी गरीबी के बारे में मत सोचिये। मत कहिये की आप इस चीज को अफोर्ड नहीं कर सकरे। सिर्फ अवसरों पर ध्यान दीजिये।अगर आपके पास कोई चीज नहीं है और आप उसे पाना चाहते है तो वैक्यूम लॉ का इस्तेमाल कीजिये। यानि समृद्धि जगह बनाइये। पुरानी बेकार की चीजों को हटा द्जिये और समृद्धि का रास्ता बनाइये। वे कहती है को जो विचार हम बाहर व्यक्त करते है , वही हमारे पास लौटकर फिर आते है। लेकिन हम इस बारे में अच्छी तरह से जानते नहीं है। इसलिए निगेटिव विचार व्यक्त करते है। जो व्यक्ति समृद्धि को लेकर सतर्क होता है , वह अपने विचार भी इसी तरह भी व्यक्त करता है। वह जानता है की विचार ही सफलता को आकर्षित करते है। इसलिए हमेशा जीवन से सर्वश्रेठ की उम्मीद करना है। इसकी प्रैक्टिस भी की जा सकती है।
 प्रैक्टिस सर्कुलेशन के यूनिवर्सल लॉ के रूप में सामने आती है। किताब कहती है की कई बार लोग पैसो को मजाक में लेते है। वे यूँ ही कह देते की पैसा उनके लिए कोई महत्व नहीं रखता। लेकिन फिर बी पूरी जिंदगी उन्हें पैसों के लिए काम तो करना ही पड़ता है। वे ऐसा काम करते भी है और काम पैसा मिलने का अफ़सोस भी करते है। लोग यह बात क्यों नहीं मानते की पैसा महत्वपूर्ण है और अच्छे जीवन के लिए मूलभूत जरुरत है। पैसा पाने के लिए उसकी अहमियत तो समझनी होगी।

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