आपको जानकर हैरानी होगी कि ये पवित्र घास गणेश जी को चढ़ाने के अलावा आयुर्वेद में इसका उल्लेख औषधि की तरह किया गया है। जो बड़े से बड़े रोगों की जड़ को काटती है। दूर्वा यानि दूब यह एक तरह की घास होती है जो गणेश पूजन में जरुर चढ़ाई जाती है। बिना दुर्वा के गणेश पूजन को सम्पन्न नहीं माना जाता है। सभी देवी देवताओं में एक मात्र गणेश ही ऐसे देव है जिनको यह विशेष किस्म की घास चढ़ाई जाती है। गणेश चतुर्थी हो या फिर शादी-ब्याह में गणेश पूजन। इक्कीस दूर्वा को इक्कठी कर एक गांठ बनाई जाती है फिर इसे गणेश जी के मस्तक पर चढ़ाई जाती है। दूब को संस्कृत में 'दूर्वा', 'अमृता', 'अनंता', 'गौरी', 'महौषधि', 'शतपर्वा', 'भार्गवी' इत्यादि नामों से जानते हैं।
durva grass benefits दूर्वा, किसी औषधि से कम नहीं
पौरोणिक काहानी प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि शिवजी से प्रार्थना करने पहुंचे। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं। जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।
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