योग मुद्रा एक प्राचीन तकनीक है जिसका अभ्यास हम प्राणायाम और मेडिटेशन के दौरान करते हैं। मुद्रा संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ हावभाव है। प्राचीन काल में साधु संत शरीर के अंदर मौजूद पांच तत्व हवा, पानी, अग्नि, पृथ्वी और आकाश को संतुलित रखने के लिए योग मुद्राएं करते थे। हमारी उंगलियों में इन तत्वों की विशेषता होती है और इनमें से प्रत्येक पांच तत्वों का शरीर के अंदर एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण कार्य होता है। यही वजह है कि आज भी लोग योग मुद्रा का अभ्यास करते हैं।
योग मुद्राएँ क्या है? योग मुद्रा शारीरिक गतिविधियों का एक समूह है जो व्यक्ति के मन, मनोभावऔर प्रत्यक्ष ज्ञान को बदलता है। योग मुद्रा मस्तिष्क के विशेष भागों में ऊर्जा का प्रवाह करने का काम करता है। आमतौर पर हमारे शरीर में मौजूद कई तत्व संतुलित अवस्था में नहीं होते हैं जिसके कारण शरीर में विभिन्न बीमारियां लग जाती हैं और व्यक्ति हल्के से लेकर गंभीर समस्याओं से पीड़ित रहने लगता है। ऐसी स्थिति में योग मुद्रा शरीर के पांच तत्वों को संतुलित करने का काम करता है और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है।
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि शरीर में पांच तत्व मौजूद होते हैं और इन तत्वों के असंतुलित होने पर व्यक्ति व्याधियों से जकड़ जाता है। इन पांच तत्वों की विशेषता हमारे हाथों की उंगलियों में समाहित होती है। हाथ की पांच उंगलियों में वायु तर्जनी उंगली पर, जल छोटी उंगली पर, अग्नि अंगूठे पर, पृथ्वी अनामिका उंगली पर और आकाश मध्यमा उंगली पर स्थित होता है।
इन्हीं के आधार पर योग मुद्रा को पांच समूहों में बांटा जाता है और यह आमतौर पर अभ्यास किये जाने वाले शरीर के अंगों पर निर्भर करते हैं।
हस्त
मन
काया
बंध
आधार
वैसे तो योग मुद्राएं सैकड़ों प्रकार की होती हैं लेकिन शरीर में मौजूद अलग-अलग बीमारियों (diseases) को दूर करने के लिए अलग-अलग योग मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है।
आमतौर पर योग मुद्रा शरीर के विभिन्न अंगों पर निर्भर करता है लेकिन चूंकि शरीर में पाये जाने वाले पांच तत्वों का उल्लेख उंगलियों से ही किया जाता है इसलिए हस्त योग मुद्रा अधिक प्रसिद्ध है।
वरुण मुद्रा
यह मुद्रा शरीर में पानी के तत्व को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। चेहरे पर निखार लाने का कार्य करता है क्योंकि शरीर में मौजूद तरल पदार्थों का सही तरीके से प्रवाह होता है और यह चेहरे का अच्छे से मॉश्चराइज करता है।
वरुण मुद्रा करने का तरीका
फर्श पर आराम से बैठ जाएं और अपनी छोटी उंगली और अंगूठे को हल्का सा झुकाकर एक दूसरे के पोरों से सटाएं।
इसके बाद हथेली को जांघ के ऊपर जमीन की तरह थोड़ा सा झुकाकर रखें।
आंखें बंद करके कुछ देर तक इसी मुद्रा में बैठे रहें।
इस मुद्रा को करते समय इस बात का विशेष ध्यान दें कि उंगली के पोर को नाखून से न दबाएं अन्यथा शरीर में पानी के तत्व संतुलित होने के बजाय आपको निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है।
वरुण मुद्रा के फायदे
मस्तिष्क को शांत रखने, त्वचा से जुड़े रोगों को दूर करने में यह मुद्रा बहुत फायदेमंद है।
वरुन मुद्रा का प्रतिदिन अभ्यास करने से शरीर में तरल पदार्थों का सर्कुलेशन सही तरीके से होता है जिसके कारण व्यक्ति को संक्रमण नहीं होता है और मुंहासे से छुटकारा मिलता है।
यह मुद्रा मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाता है और चेहरे पर प्राकृतिक निखार लाता है।
ज्ञान मुद्रा
यह सबसे मौलिकयोग मुद्रा है जो एकाग्रता और ज्ञान को बेहतर बनाने में मदद करता है।
ज्ञान मुद्रा करने का तरीका
फर्श पर बिल्कुल आराम से पदमासन की मुद्रा में बैठ जायें।
इसके बाद अपनी तर्जनी उंगली को मोड़े और अंगूठे के ऊपर सटाएं।
बाकी तीन उंगलियों को बिल्कुल सीधा रखें और ये तीनों उंगलियां एक दूसरे को छूनी नहीं चाहिए।
हाथ पर किसी तरह का तनाव न दें और आंखें बंद करके इस मुद्रा में कुछ देर तक बैठे रहें।
ज्ञान मुद्रा अनिद्रा की समस्या दूर करने में काफी फायदेमंद होता है।
यह मुद्रा एकाग्रता को बढ़ाता है और यादाश्त की क्षमता भी मजबूत करता है।
प्रतिदिन ज्ञान मुद्रा का अभ्यास करने से मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे गुस्सा, डिप्रेशन, तनाव और चिंता (anxiety) दूर हो जाती है।
यह मुद्रा शरीर में ऊर्जा को बढ़ाता है और कमर दर्द (waist pain) से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद होता है।
वायु मुद्रा
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है, वायु मुद्रा शरीर में वायु का संतुलन बनाये रखने के लिए किया जाता है।
वायु मुद्रा करने का तरीका
अपनी तर्जनी उंगली को मोड़े।
इसके बाद अपने अंगूठे के आधार पर तर्जनी उंगली (index finger) को मोड़कर हड्डी को दबाते हुए आधार के पास रखें।
हाथ की बाकी तीन उंगलियों को बिल्कुल सीधा (straight) रखें और उंगलियों पर किसी तरह का दबाव न दें।
इसके बाद हथेली को घुटने के ऊपर रखें और आंखें बंद करके कुछ देर तक बैठे रहें।
वायु मुद्रा बेनिफिट्स इन हिंदी
यह मुद्रा शरीर से अधिक वायु बाहर निकालने का कार्य करता है और गैस के कारण सीने में उत्पन्न दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
वायु मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से घबराहट और बेचैनी दूर होती है और मन शांत रहता है।
यह मुद्रा वात दोष को दूर करने और अर्थराइटिस, गैस की समस्या, साइटिका, घुटनों एवं मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में प्रभावी होता है।
इसके अलावा यह मुद्रा अधिक झींक आने, जम्हाई आने की समस्या को भी दूर करने में फायदेमंद होता है।
प्राण मुद्रा
(प्राण मुद्रा) व्यक्ति के शरीर के जीवन तत्व को संतुलित रखने के लिए किया जाता है। यह योग मुद्रा इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है और बीमारियों से शरीर की सुरक्षा करता है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्रा इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा से भर देता है।
आराम से बैठ जाएं और अपनी अनामिका उंगली और छोटी उंगली को हल्का सा झुकाएं और इन्हें अंगूठे के पोर से सटाएं।
हाथ की बाकी दो उंगलियों को ऊपर की ओर बिल्कुल सीधा रखें।
अब अपनी हथेली को घुटनेके ऊपर रखें।
हाथों और कंधों को आराम दें और आंखें बंद करके कुछ देर तक इसी मुद्रा में बैठे रहें।
प्राण मुद्रा के फायदे
प्राण मुद्रा का अभ्यास करने से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
प्रतिदिन इस मुद्रा का अभ्यास करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और दृष्टि तेज होती है।
आंखों से जुड़ी बीमारियों और आंखों की थकान दूर करने के लिए यह मुद्रा बहुत फायदेमंद है।
शरीर को एक्टिव रखने में भी इस मुद्रा के बहुत फायदे हैं।
शरीर में विटामिन की कमी को दूर करने, बीमारियों से रक्षा करने और आंतरिक अंगों को क्रियाशील बनाने में यह मुद्रा बहुत फायदेमंद है।
शून्य मुद्रा
इस मुद्रा को स्वर्ग की मुद्रा भी कहा जाता है और इस मुद्रा का अभ्यास करने पर चित्त को एक विचित्र तरह की शांति मिलती है।
शून्य मुद्रा करने का तरीका
फर्श पर आराम से बैठ जाएं।
इसके बाद अपनी मध्यमा उंगली को झुकाकर बीच की हड्डी के पास से मोड़ें और इस उंगली के नाखून के ऊपर अपने अंगूठे के पोर को रखें।
हाथ की बाकी तीन उंगलियां अर्थात् तर्जनी,अनामिका और छोटी उंगली को एकदम सीधे और एक दूसरे से अलग रखें।
अब हाथ को घुटने के ऊपर हल्का सा जमीन को ओर लटका कर रखें।
हाथ और कंधों को आराम की मुद्रा में रखें और आंखें बंद करके कुछ देर तक शांत बैठे रहें।
शून्य मुद्रा के फायदे
शून्य मुद्रा का अभ्यास करने से कानों से न सुनाई देने या कम सुनाई देने की समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है। इसके अलावा कान के दर्द को दूर करने में भी यह मुद्रा फायदेमंद है।
हृदय रोगों को दूर करने, गले की समस्या, आंखों में पानी आने की समस्या को दूर करने और हड्डियों को मजबूत रखने में यह मुद्रा लाभदायक है।
सूर्य मुद्रा
यह मुद्रा व्यक्ति के शरीर में सूर्य तत्व को संतुलित रखने में मदद करता है। सूर्य की ऊर्जा का लाभ उठाने के लिए यह मुद्रा तड़के सुबह करना चाहिए।
सूर्य मुद्रा करने का तरीका
जमीन पर आराम से बैठ जाएं।
अपनी अनामिका उंगली को बीच से मोड़े और इसके ऊपर अंगूठे को मोड़कर इसके पोर को रखें और हल्का सा अनामिका उंगली के ऊपर अंगूठे से दबाव बनाए रखें।
हथेली की बाकी उंगलियों को एकदम सीधे रखें और इन्हें झुकाएं नहीं।
तड़के सुबह रोजाना इस मुद्रा का आधे घंटे तक अभ्यास करें।
सूर्य मुद्रा के फायदे
सूर्य मुद्रा का अभ्यास करने से वजन नियंत्रित रहता है और मोटापे की समस्या नहीं होती है।
यह मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को बढ़ाता है और शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है।
सूर्य मुद्रा पाचन की समस्या,भूख न लगने की समस्या, कंपकंपी, हाथों और पैरों में अधिक ठंड लगने से बचाने में प्रभावी रूप से कार्य करता है।
कोलेस्ट्रॉल घटाने और पाचन क्रिया को बेहतर रखने में भी यह मुद्रा फायदेमंद है।
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