गर्मी का मौसम शरीर और त्वचा दोनों पर भारी पड़ता है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है गर्मी बर्दाश्त से बाहर होने लगती है, शरीर को व खुद को ठंडा, सुरक्षित और संक्रमण से मुक्त रखने के लिए लोगों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यही बात त्वचा पर भी लागू होती है। इन सारी समस्याओं का एकमात्र उपाय होता है खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखना, मतलब अपनी त्वचा को सूरज के सीधे संपर्क से बचाना और संक्रमण के लिए जिम्मेदार स्थितियों से बचाव करना और साथ ही कुछ नियमों का पालन करना।
1. समस्या
सनबर्न :- गर्मियों की धूप बेहद तीखी होती है। इससे त्वचा को छील जाती है और त्वचा पर लाल चकत्ते और निशान भी उभर जाते हैं जिससे जलन महसूस होती है। ऐसा उन लोगों को ज्यादा होता है जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है। साधारण भाशा में कहे तो सूरज मुलायम और संवेदनशील त्वचा को जला देती है।
उपाय :- इस स्थिति से खुद को बचाने का एक ही उपाय है, जहां तक हो सके धूप के सीधे संपर्क में आने से बचें। इसके साथ ही त्वचा पर नियमित रूप से सन्सक्रीन लगाना भी जरूरी है। अपने चेहरे, गर्दन और बाहों पर बाहर निकलने से 20 मिनट पहले कोई सनब्लॉक क्रीम अच्छी तरह से लगाएं। इतना ही नहीं, त्वचा की सुरक्षा बरकरार रहे इसके लिए हर 4 घंटे के अंतराल में सन्सक्रीन लगाएं। इसके साथ ही संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को दिन के समय में शरीर को जहां तक हो सके ढंकने वाले और कॉटन के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। अपनी त्वचा की गर्मी शांत करने के लिए शाम को एलोवेरा जेल का फेस पैक इस्तेमाल करें।
2. समस्या
डीहाइड्रेशन:- डीहाइड्रेशन का असर सिर्फ आपके शरीर को ही नहीं बल्कि आपकी त्वचा को भी झेलना पड़ता है। लगातार पसीना आने से शरीर में पानी की कमी होती रहती है। इसकी पूर्ति के लिए अगर पर्याप्त मात्रा में लिक्विड न लिया जाए तो त्वचा रूखी, बेजान, इरिटेटेड और सनबर्न की चपेट में आने के अनुकूल बन जाती है, जिससे होंठ फटने लगते हैं और जगह-जगह रूखे चकत्ते उभर सकते हैं।
उपाय :- इससे बचाव के लिए खूब सारा पानी पीते रहें। हर समय अपने साथ पानी की एक बोतल रखें। हर आधे घंटे में एक बार पानी जरूर पिएं। गर्मियों में तरबूज जैसे फल शरीर और त्वचा के लिए बेहद उपयुक्त होते हैं क्योंकि इनमें खूब सारा पानी होता है। आप कुछ डीप हाइड्रेटिंग ट्रीटमेंट भी ले सकते हैं, जैसे कि हाइड्रेटिंग इलेक्ट्रोपोरेशन थेरेपी, ऑक्सीजन थेरेपी और जुवेडर्म रिफाइन।
3. समस्या
मुहांसे :- पसीना हमारी त्वचा को धूल-मिट्टी और प्रदूशण के लिए चुंबक जैसा बना देता है, खासतौर से तब जब हम बाहर ज्यादा समय गुजारते हैं। गर्मी और गंदगी का यह मेल मुंहासों के पनपने के लिए उपयुक्त होता है। गंदगी से त्वचा के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं और भीतर से गर्मी बढ़ने पर बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं।
उपाय :- मुंहांसों की समस्या को कम करने के लिए त्वचा को हमेशा साफ रखें। अपने साथ हमेशा एक फेसवॉश रखें और त्वचा को साफ रखने के लिए दिन में कम से कम तीन बार चेहरा धोएं। त्वचा के रोमछिद्र बंद न हों इसके लिए हर शाम में कोई अच्छा स्किन क्लींजर लगाएं। एंटी बैक्टीरियल फेसवॉश का इस्तेमाल करें और रात में चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी या चंदन पाउडर का लेप लगाएं। इससे आपकी त्वचा में ठंडक बरकरार रहेगी। कई बार मुंहांसों से निजात के लिए मेडिकल उपायों की भी जरूरत पड़ती है। तो अगर आपकी समस्या घरेलू उपायों से ठीक नहीं हो रही है तो किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिलें। हो सकता है आपको हार्मोनल करेक्शन की जरूरत हो।
4. समस्या
गर्मियों से चकत्ते :- गर्मियों के दिनों में तमाम कारणों से त्वचा इरिटेबल हो जाती है। गर्मी के साथ पसीना आना सबसे बड़ी समस्या होती है। कभी-कभी धूल-मिट्टी रोमछिद्रों में घुसकर इसमें रूकावट डालते हैं, ऐसे में पसीना सही ढंग से बाहर नहीं निकल पाता है और त्वचा पर खुजली वाले चकत्ते, छाले या कील-मुंहांसे हो जाते हैं। कपड़ों की रगड़ से त्वचा की हालत और खराब हो सकती है। अगर आपको पसीना आता है तो अपने आप साफ रखकर इस समस्या से बचा सकते हैं।
उपाय :- दिन में दो बार नहाएं। खासतौर से रात के समय जरूर नहाएं। नहाने के लिए कोई एंटीबैक्टीरियल साबुन या बाथ जेल इस्तेमाल करें। जहां तक हो सके खुद को सूखा रखें। प्रभावित त्वचा पर बर्फ रगड़ें, इससे जलन कम होगी। अगर स्थिति में सुधार न आए तो डॉक्टर को दिखाएं।
5. समस्या
बैक्टीरियल संक्रमण :- गर्मी का मौसम बहुत तरह के बैक्टीरिया और वायरस के लिए अनुकूल होता है। बैक्टीरिया हर जगह होते हैं और आप इन्हें देख भी नहीं सकते। जो लोग पब्लिक टृांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाते हैं उन्हें बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा होता है। यहां तक कि बस की सीट या खिड़कियां, जिन्हें आप हाथ लगाते हैं, पर भी बैक्टीरिया जमे हो सकते हैं। यही हाथ अगर हम अपने चेहरे पर लगाते हैं तो संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
उपाय :- अपने हाथों को बार-बार धोने और साफ रखने की कोशिश करें। अपने साथ हैंडवॉश रखें और प्रत्येक कुछ घंटों के अंतराल में हाथों को धोएं। अगर ऐसा करना संभव न हो तो कोई हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल करें। और अपनी उंगलियों से चेहरे को बार-बार छूने की आदत छोड़ दें। डॉ. चिरंजीव छाबड़ा कहते हैं कि इसके अलावा फोलिकल्टिस एक आम समस्या है जिसमें बालों के फोलिकल बैक्टीरिया की वजह से डैमेज हो जाते हैं और परिणामस्वरूप इन्फ्लेमेशन होता है। इससे बचाव के लिए ढीले कपड़े पहनें, ऐसे स्विमिंग पूल में जाने से बचें, जो पूरी तरह साफ न रहता हो, शेविंग करते समय त्वचा को कटने से बचाएं।
6-समस्या
टैनिंग :- गर्मियों में इस समस्या से बचा नहीं जा सकता क्योंकि जब हम सूरज की यूवी किरणों के संपर्क में आते हैं, तब त्वचा का मेलनिन एक सुरक्षात्मक कवर बनाता है। इन मेलेनिन की वजह से ही गहरे धब्बे उभरते हैं, या तो ये पूरे चेहरे पर एक समान दिखाई देते हैं अथवा चकत्तों के रूप में नजर आते हैं। इस स्थिति को स्किन डार्केनिंग, टैनिंग अथवा हाइपर पिगमेंटेशन कहते हैं।
उपाय :- हर समय 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाएं। साथ ही आंखों के नीचे काले घेरे होने से रोकने के लिए धूप का चश्मा जरूरी लगाएं। टैनिंग का असर खत्म करने के लिए लेजर स्किन रीजुविनेशन, केमिकल पील्स अथवा माइक्रोडर्माऐब्रेजन जैसे प्रोसीजर कराएं। इसके आप त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिले ताकि वो आपकी त्वचा के लिए उपयुक्त प्रॉसीजर बता सकें।
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