कृष्ण जी की लीला और उनके जीवन के बारे में तो हर कोई जानता है। भक्तों के लिए यह दिन बहुत बड़ा होता है। उनका पूरा जीवन लोगों के लिए एक संदेश हैं। उन्होंने पूरी ईमानदारी और सच्चाई से अपने हर रिश्ते को निभाया है।
सिर्फ राधा ही नहीं, वृंदावन में कृष्ण जी को चाहने वाली कई और गोपियां थी। कृष्ण जी उनका बहुत सम्मान करते थे लेकिन प्यार वह सिर्फ राधा से ही करते थे। आज के प्रमियों को भी उनकी तरह प्यार करना सीखना चाहिए।
गुरू के प्रति आदर सम्मान सीखना हो तो कृष्ण जी से सीखें। भगवान विष्णु का यह अवतार जिस भी संत से मिला उन्होंने उन्हें पूरा सम्मान दिया। किसी से निस्वार्स्थ प्रेम और आदर करना सीखना हो तो भगवान विष्णु से सीख सकते हैं।
कृष्ण को जन्म देने वाले माता-पिता कोई ओर थे और उनका पालन-पोषण करने वाले कोई ओर । मगर कृष्ण जी ने उन दोनों को एक समान प्यार दिया। देवकी-वासुदेव और नंद-यशोदा के प्रति अपने कर्तव्यों को भी पूरी ईमानदारी से निभाया। उन्होंने अपने इस भाव से लोगों को संदेश दिया कि इस संसार में सबसे ऊंचा माता-पिता का स्थान है।
कृष्ण जी ने सुदामा के साथ अपनी दोस्ती को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया। इन दोनों ने कभी भी अपने रिश्ते के बीच अमीरी-गरीबी को नहीं आने दिया। जिस से रिश्ता बनाया उसे पूरी निष्ठा से निभाया था।
भगवान का रूप होते हुए भी कृष्ण जी को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनको मारने के लिए मामा कंस कई यत्न किए। मगर नन्हें से कान्हा ने उन सब मुसीबतों का डटकर सामना किया। उनके जीवन से हर इंसान को सिर्फ यहीं संदेश मिलता है कि जिंदगी कठिनाइयों से भरा हुआ है। हिम्मत हारे बिना लड़ते जाएं। एक दिन आपको मंजील मिल ही जाएगी।
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