अनुलोम विलोम कई प्राणायामों एवं श्वास अभ्यास में से एक है। यह प्राणायाम हमारे शरीर के तीन दोषों वात, पित्त और कफ को दूर कर शरीर को संतुलित अवस्था में लाने में बहुत सहायक होता है। अनुलोम विलोम का ठीक उल्टा होता है और यह श्वसन से संबंधित बीमारियां जैसे अस्थमा को दूर करने में मदद करता है। अनुलोम विलोम एक तरह से मेडिटेशन के रूप में कार्य करता है और शरीर को ऊर्जा से भर देता है। यह प्राणायाम स्त्री एवं पुरूष दोनों में तनाव एवं चिंता को प्रभावी रूप से दूर करता है। विशेषरूप से महिलाओं में अर्थराइटिस जैसी गंभीर समस्या से निजात दिलाने में यह फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह प्राणायाम विद्यार्थियों को पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक होता है। अनुलोम विलोम एक ऐसा प्राणायाम है जिसे हर उम्र के लोग प्रतिदिन अभ्यास करके इसके फायदों का लाभ उठा सकते हैं।
सबसे पहले जमीन पर पदमासन की मुद्रा में बैठ जाएं। दाहिने पैर के पंजे को बाएं पैर की जांघ पर और बाएं पैर के पंजे को दाएं पैर की जांघ पर रखें और आंखें बंद कर लें।
इसके बाद अपने दाहिने नाक को दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करें औऱ बाएं नाक से धीरे-धीरे लेकिन जितना संभव हो सके उतना गहरा सांस लें। इस दौरान आपका फेफड़ा हवा से भर जाना चाहिए।
अब दाहिने नाक पर रखे दाएं अंगूठे को हटा लें और सांस छोड़ें। सांस छोड़ते समय आपकी मध्य उंगली बाएं नाक के समीप होना चाहिए।
अब दाएं नाक से सांस लें और सांस छोड़ते समय दाएं अंगूठे को नाक के पास से हटा लें।
इस क्रिया को 5 मिनट तक दोहराएं।
अनुलोम विलोम करते समय आत्मकेंद्रित रहें और पूरा ध्यान सांसों पर लगाएं।
यह प्राणायाम आमतौर पर सुबह के समय ताजी हवा एवं वातारवरण में बैठकर किया जाता है। शाम की अपेक्षा सुबह के समय अनुलोम विलोम का अभ्यास करना अधिक फायदेमंद होता है। यह प्राणायाम अन्य योगाभ्यास एवं आसनों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित भी माना जाता है। इसलिए यदि संभव हो तो सुबह के समय और सही तरीके से अनुलोम विलोम का अभ्यास करें।
नियमित रूप से अनुलोम विलोम का अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है। पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह प्राणायाम बहुत फायदेमंद होता है। यह एकाग्रता को बढ़ाने के साथ ही निर्णय लेने की क्षमता और रचनात्मकता(creativity) को भी बढ़ाता है।
यह प्राणायाम श्वसन क्रिया से जुड़ा होता है इसलिए यह शरीर में जमा हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने, फेफड़े को स्वस्थ रखने सहित शरीर की तमाम बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। आइये जानते हैं कि अनुलोम विलोम करने से स्वास्थ्य को क्या-क्या फायदे होते हैं।
प्रतिदिन अनुलोम विलोम का अभ्यास करने से वात, पित्त और कफ जैसे शारीरिक दोष दूर होते हैं। चूंकि यह श्वसन से जुड़ा हुआ प्राणायाम है इसलिए इन दोनों को दूर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
पूरे समर्पण से नियमित रूप से अनुलोम विलोम का अभ्यास करने से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है जिसके कारण ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है। इसके अलावा यह प्राणायाम मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसका अभ्यास करने से शरीर में इंसुलिन का स्तर नहीं घटता है।'
मांसपेशी प्रणाली से जुड़े रोगों के लक्षणों को कम करने में अनुलोम विलोम बहुत फायदेमंद होता है। यह प्राणायाम गठिया, पेट फूलना, नसों में ऐंठन, एसिडिटी और साइनसिटिस की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। यही कारण है कि 40 साल की उम्र के बाद लोगों को अनुलोम विलोम को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए।
यह प्राणायाम करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार विचार आते हैं। अनुलोम विलोम का प्रतिदिन अभ्यास करने से गुस्सा, चिड़चिड़ापन, तनाव, भूलने की आदत, बेचैनी, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और माइग्रेन जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ती है और इससे व्यक्ति का शरीर और मस्तिष्क दोनों शांत रहता है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से तनाव एवं बुखार दूर करने एवं आंखों और कान के उत्तकों में परेशानी को दूर करने में भी यह प्राणायाम बहुत सहायक होता है।
अनुलोम विलोम हृदय की ब्लॉक धमनियों को खोलने और शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ाने में बहुत मदद करता है। प्रतिदिन सुबह खाली पेट शांत मन से अनुलोम विलोम का अभ्यास करने से मोटापे की समस्या नियंत्रित हो जाती है।
यह एक ऐसा प्राणायाम है जिसका रोजाना अभ्यास करने से कब्ज, पेट में गैस बनने, एसिडिटी और एलर्जिक रिएक्शन की समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा खर्राटे लेने की समस्या और अस्थमा जैसे रोगों के इलाज में भी यह प्राणायाम बहुत फायदेमंद होता है।
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