सेक्स संबंधी शोध और उनके निष्कर्ष अपनी विचित्रताओं के लिए जाने जाते हैं। पिछले वर्ष एक शोध से यह जानकारी मिली कि रात के समय तेज आवाज में गाने सुनने से आप देर तक और बेहतर सेक्स कर पाएंगे। शोध से जुड़े न्यूरोसाइंटिस्ट डेनियल जे लेविटिन ने कहा कि दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में और मानव इतिहास में संगीत की रचना, सांस लेने या चलने-फिरने जैसी स्वाभाविक, नैसर्गिक गतिविधि है और इसमें ज्यादातर लोग शामिल होते हैं।
गौरतलब है कि लेविटिन खुद एक संगीतकार रह चुके हैं और उन्होंने ‘दिस इज योर ब्रेन ऑन म्यूजिक: द साइंस ऑफ ह्यूमन ऑबसेसन’ नाम की किताब लिखी है। वे मनुष्यों पर संगीत के प्रभाव पर पिछले 20 सालों से अध्ययन कर रहे हैं।
दो हफ्तों तक चले इस शोध में परिवारों को पहला हफ्ता बिना तेज आवाज में संगीत सुने बिताना था। वहीं दूसरे हफ्ते में सोनोस सिस्टम और एपल म्यूजिक पर उन्हें तेज आवाज में संगीत सुनने को कहा गया। विदित हो कि इस दौरान 44 हजार घंटों तक कुल 8 हजार 124 गाने बजाए गए। इस शोध से यह नतीजा सामने आया कि दूसरे हफ्ते के दौरान परिवारों में एक-दूसरे से ज्यादा संवाद हुए। उन्होंने साथ गाना गया, डांस किया, हंसे, रोए और ज्यादा वक्त साथ बिताया। कुल मिलाकर संगीत सुनने वालों ने 67 फीसदी ज्यादा सेक्स किया।
लेविटिन के मुताबिक इस सर्वेक्षण की अहम बात यह है कि इस तरह के प्रयोग का नतीजा हमेशा एक जैसा रहा। संगीत लोगों के दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन का स्त्राव बढ़ाता है, जिससे लोगों को संतुष्टि का सुखद अहसास होता है। इतना ही नहीं, उनका कहना है कि संगीत सुनने से एक दूसरा न्यूरोट्रांसमीटर ऑक्सीटोन भी निकलता है जिसे लव हार्मोन कहते हैं और इस हार्मोन से क्या होता है, यह बात किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि लेविटिन खुद एक संगीतकार रह चुके हैं और उन्होंने ‘दिस इज योर ब्रेन ऑन म्यूजिक: द साइंस ऑफ ह्यूमन ऑबसेसन’ नाम की किताब लिखी है। वे मनुष्यों पर संगीत के प्रभाव पर पिछले 20 सालों से अध्ययन कर रहे हैं।
दो हफ्तों तक चले इस शोध में परिवारों को पहला हफ्ता बिना तेज आवाज में संगीत सुने बिताना था। वहीं दूसरे हफ्ते में सोनोस सिस्टम और एपल म्यूजिक पर उन्हें तेज आवाज में संगीत सुनने को कहा गया। विदित हो कि इस दौरान 44 हजार घंटों तक कुल 8 हजार 124 गाने बजाए गए। इस शोध से यह नतीजा सामने आया कि दूसरे हफ्ते के दौरान परिवारों में एक-दूसरे से ज्यादा संवाद हुए। उन्होंने साथ गाना गया, डांस किया, हंसे, रोए और ज्यादा वक्त साथ बिताया। कुल मिलाकर संगीत सुनने वालों ने 67 फीसदी ज्यादा सेक्स किया।
लेविटिन के मुताबिक इस सर्वेक्षण की अहम बात यह है कि इस तरह के प्रयोग का नतीजा हमेशा एक जैसा रहा। संगीत लोगों के दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन का स्त्राव बढ़ाता है, जिससे लोगों को संतुष्टि का सुखद अहसास होता है। इतना ही नहीं, उनका कहना है कि संगीत सुनने से एक दूसरा न्यूरोट्रांसमीटर ऑक्सीटोन भी निकलता है जिसे लव हार्मोन कहते हैं और इस हार्मोन से क्या होता है, यह बात किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है।
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