अक्सर लोग सोचते है की आदतें बुरी होती है। लेकिन कुछ आदतें काम की भी होती है। जैसे समय पर सोना। हेल्दी खाना खाना। ऐसी ही कुछ आदतें बनाई भी जा सकती है। वैसे हर आदत के कुछ न कुछ परिणाम होते हैं। इसलिए जब कोई आदत बनाना हो तो पहले यह सोच लेना चाहिए की इसके परिणाम क्या हो सकते है। अच्छे परिणाम यानी अच्छा महसूस करना। संतोष का अनुभव होना। और फिर इसके अलावा भौतिक परिणाम भी आदत के मिलेंगे।
लगातार किसी भी चीज की प्रैक्टिस करके आदत बनाना संभव है। प्रैक्टिस के दौरान दिक्कत भी आएँगी। लेकिन आप इन दिक्कतो को पहचान कर इनका हल निकल सकते है। करना बस इतना है आपको हमेशा फ्री फील करना है। किसी तरह के दबाव में नहीं आना है। प्रैक्टिस करते करते एक पैटर्न बन जायेगा। इस पैटर्न को फॉलो करने के दौरान अगर कोई अच्छा आईडिया आता है तो उसे अपना सकते है। पुराना पैटर्न बदला जा सकता है जब पैटर्न एक निश्चित रूप लेने लगता है तो यह आपके स्वभाव में आने लगता है।
लन्दन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता फिलिपा लैली ने अपनी रिसर्च के आधार पर कहा की किसी भी काम को अगर आप लगातार 66 दिन प्रैक्टिस करे तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाता है। लैली के अनुसार आदत बनाने के लिए सबसे पहले जरुरी है कोई ऐसा हो जो आपको याद दिला दे। यह व्यक्ति भी हो सकता है। संकेत भी और टाइमर भी।
लगातार किसी भी चीज की प्रैक्टिस करके आदत बनाना संभव है। प्रैक्टिस के दौरान दिक्कत भी आएँगी। लेकिन आप इन दिक्कतो को पहचान कर इनका हल निकल सकते है। करना बस इतना है आपको हमेशा फ्री फील करना है। किसी तरह के दबाव में नहीं आना है। प्रैक्टिस करते करते एक पैटर्न बन जायेगा। इस पैटर्न को फॉलो करने के दौरान अगर कोई अच्छा आईडिया आता है तो उसे अपना सकते है। पुराना पैटर्न बदला जा सकता है जब पैटर्न एक निश्चित रूप लेने लगता है तो यह आपके स्वभाव में आने लगता है।
लन्दन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता फिलिपा लैली ने अपनी रिसर्च के आधार पर कहा की किसी भी काम को अगर आप लगातार 66 दिन प्रैक्टिस करे तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाता है। लैली के अनुसार आदत बनाने के लिए सबसे पहले जरुरी है कोई ऐसा हो जो आपको याद दिला दे। यह व्यक्ति भी हो सकता है। संकेत भी और टाइमर भी।
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